पीएम मोदी बोले-साल 2014 से 2029 का समय भारत जैसे युवा लोकतंत्र के लिए ‘बहुत महत्वपूर्ण'

देश
भाषा
Updated Nov 23, 2020 | 18:54 IST

देश की युवा शक्ति को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि साल 2014 से 2029 तक का समय भारत जैसे युवा लोकतंत्र के लिए बेहद अहम है।

PM Modi said Period from 2014 to 2029 'very important' for young democracy like India 
पीएम मोदी ने कहा-वर्ष 2014 से 2029 तक की अवधि भारत जैसे युवा लोकतंत्र के लिए ‘‘बहुत महत्वपूर्ण’’  

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि वर्ष 2014 से 2029 तक की अवधि भारत जैसे युवा लोकतंत्र के लिए ‘‘बहुत महत्वपूर्ण’’ है। उन्होंने कहा कि पिछले छह साल देश के विकास के लिए 'ऐतिहासिक' रहे और आगामी वर्षों के दौरान बहुत कुछ किया जाना बाकी है जो देश को नए दशक में आगे ले जाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।प्रधानमंत्री मोदी ने ये बातें सांसदों के लिए राजधानी दिल्ली के डॉ बीडी मार्ग पर बनाए गए बहुमंजिला फ्लैटों का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कही। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले डेढ़ साल के भीतर सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के चलते 17वीं लोकसभा का कार्यकाल अभी से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस उद्घाटन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद पटेल और संसद की आवास समिति के अध्यक्ष सी आर पाटिल भी शामिल हुए।मोदी ने कहा कि सामान्य तौर पर यह कहा जाता है कि युवाओं के लिए 16, 17, 18 साल की उम्र बहुत महत्वपूर्ण होती है और ठीक उसी प्रकार 16, 17, 18 की ये उम्र किसी युवा लोकतंत्र के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, '2019 के चुनाव के साथ ही हमने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा किया है। यह समय देश की प्रगति के लिए, देश के विकास के लिए बहुत ही ऐतिहासिक रहा है। 2019 के बाद से 17 वीं लोकसभा का कार्यकाल शुरू हुआ है। इस दौरान भी देश ने जैसे निर्णय लिए हैं, जो कदम उठाए हैं, उनसे यह लोकसभा अभी से ही इतिहास में दर्ज हो गई है।'

‘देश के सामने इतना कुछ है जो हमें इस दौरान हासिल करना है'

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि 18 वीं लोकसभा भी देश को नए दशक में आगे ले जाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।उन्होंने कहा, 'देश के सामने इतना कुछ है जो हमें इस दौरान हासिल करना है। चाहे आत्मनिर्भर भारत अभियान हो, अर्थव्यवस्था से जुड़े लक्ष्य हों, या ऐसे ही कितने और संकल्प, ये सब हमें इसी दौरान ही सिद्ध करने हैं।' उन्होंने कहा, '16वीं, 17वीं और 18वीं लोकसभा का कालखंड हमारे युवा देश के लिए बहुत अहम है। देश के लिए इस महत्वपूर्ण समय का हम सबको हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हम सबकी जिम्मेदारी है जब इतिहास में लोकसभा के अलग-अलग कार्यकालों का अध्ययन किया जाए तो ये कार्यकाल देश की प्रगति के स्वर्णिम अध्याय के तौर पर याद किए जाएं।' 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश की कार्य प्रणाली में, शासन में एक नई सोच और नया तौर तरीका दिखाई दे रहा है और यही कारण है कि देश की संसद आज एक नए भारत के लिए कदम बढ़ा रही है तथा बहुत तेजी के साथ फैसले ले रही है।उन्होंने कहा, 'पिछली 16वीं लोकसभा ने पहले की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा विधेयक पारित किए। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में तय समय से 135 प्रतिशत काम हुआ। राज्यसभा ने भी शत प्रतिशत काम किया। ये प्रदर्शन पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा है। पिछली सर्दियों में भी लोकसभा की उत्पादकता 110 प्रतिशत से ज्यादा रही है।'

उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने ध्यान नहीं दिया होगा लेकिन 16वीं लोकसभा में 60 प्रतिशत बिल ऐसे रहे हैं जिन्हें पास करने के लिए औसतन दो से तीन घंटे तक की बहस हुई है।उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछली लोकसभा से ज्यादा विधेयक पारित किए लेकिन फिर भी हमने पहले से ज्यादा बहस की है। ये दिखाता है कि हमने उत्पाद पर भी फोकस किया है और प्रक्रिया को भी निखारा है।’’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पिछले डेढ़ साल में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया और कहा कि इस दौरान जहां जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त कराया गया वहीं तीन तलाक जैसी प्रथा को समाप्त किया गया।उन्होंने कहा, 'सिर्फ बीते एक डेढ़ वर्ष की बात करें तो देश ने किसानों को बिचौलियों के चंगुल से आजाद कराने का काम किया है, ऐतिहासिक लेबर रिफॉर्म्स किये हैं, कामगारों के हितों को सुरक्षित किया है।'

उन्होंने कहा, 'देश ने जम्मू कश्मीर के लोगों को भी विकास की मुख्यधारा और अनेक कानूनों से जोड़ने का काम किया है। पहली बार जम्मू कश्मीर में अब करप्शन के खिलाफ काम हो सके ऐसे कानून बन पाए हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से चली आ रही समस्याएं, टालने से नहीं, उनका समाधान खोजने से समाप्त होती हैं।उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ सांसदों के निवास ही नहीं बल्कि यहां दिल्ली में ऐसे अनेकों परियोजनाएं थीं जो कई-कई बरसों से अधूरी थी, लटकी पड़ी थी। कई इमारतों का निर्माण इस सरकार के दौरान ही शुरू हुआ और तय समय में, तय समय से पहले समाप्त भी हुआ।'

इस कड़ी में उन्होंने अंबेडकर नेशनल मेमोरियल, केंद्रीय सूचना आयोग की इमारत, वॉर मेमोरियल और पुलिस मेमोरियल का उल्लेख किया।इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने बताया कि इसके निर्माण में 27 माह लगे और इसमें कुल लागत 188 करोड रुपये की आई। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में अनुमानित लागत से 30 करोड़ की बचत की गई।उन्होंने कहा कि लोकसभा के गठन के बाद सांसदों के आवास की अक्सर दिक्कतें आया करती थी और उन्हें होटलों में ठहराया जाता था जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता था। उन्होंने उम्मीद जताई कि 18 वीं लोकसभा की जब शुरुआत होगी तो किसी भी सांसद को होटल में ठहरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

लोकसभा सचिवालय के मुताबिक 80 वर्ष से अधिक पुराने आठ बंगलों के स्थान पर 76 फ्लैटों का निर्माण किया गया है। कोविड-19 के संक्रमण के बावजूद इन फ्लैटों का निर्माण कार्य निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया गया और इनके निर्माण में स्वीकृत लागत से करीब 14 प्रतिशत बचत की गई है। इन फ्लैटों के निर्माण में कई हरित निर्माण तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इनमें राख और मलबे से बनी इटें, ताप की रोकथाम के लिए डबल गेज्ड विंडो और ऊर्जा की दृष्टि से किफायती एलईडी लाइट फिटिंग्स, बिजली की कम खपत के लिए वी आर वी प्रणाली, वर्षा जल संरक्षण प्रणाली और रूफ टॉप सोलर प्लांट शामिल हैं।

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