कोरोना जैसा संकट ना तो कभी देखा गया और ना ही सुना गया, जी हां अपने जीवनकाल की बात करें तो वैसे तो कई संकट देखे, कई महामारियां देखीं, युद्ध के साक्षी बने मगर कोविड-19 जैसा जीवन में पहली बार देख रहे हैं, एक ऐसा शत्रु जो ना तो दिखाई दे रहा है और ना ही उसकी कोई ज्ञात पहचान है, एक अतिसूक्षम वायरस भी दुनिया को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है ये एहसास बखूबी हो गया।
कोरोना ने पूरी दुनिया में जो कोहराम मचाया है उसकी मार से भारत जैस कई विकासशील देशों के अलावा विकसित और ताकतवर मुल्क सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, कोरोना ने इन ताकतवर मुल्कों की कमर तोड़कर रख दी है और अभी ये सिलसिला जारी ही है।
देश में जारी लॉकडाउन चौथे चरण में पहुंचा
बात भारत की करें तो यहां पर भी कोरोना मामले 1 लाख की संख्या पार कर चुके हैं, कोरोना संकट की वजह से देश में लॉकडाउन लागू है और उसे 31 मई तक बढ़ा दिया गया है, लॉकडाउन की मार भारत में हर तबके पर पड़ी है,फैक्ट्रियां, कारखाने, मिल, उधोग धंधे और व्यापार सभी पर इसका साफ असर देखा जा रहा है, सबसे ज्यादा संकट गिरा है प्रवासी मजदूरों पर उनकी रोजी-रोटी का जरिया छिन गया है और भारी संख्या में उनका पलायन अपने गांव-घर की ओर हो रहा है।
देश का शीर्ष नेतृत्व इस संकट से उबरने की कोशिश में जुटा है वहीं कहते हैं कि हर निराशा में भी आशा की किरण ढूंढनी चाहिए कुछ ऐसी ही मोदी सरकार की भी मंशा है, 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी, इसमें 'वोकल फॉर लोकल' खासा अहम है।
आप इस संदेश के पीछे की अर्थसमझिए,जो एक तरीके से इशारा है कि बहुत बजा ली 'विदेशी डुगडुगी' यानि बहुत हुआ विदेशी सामानों का उपयोग अब हमें अपने लोकल प्रॉडक्ट को अपनाना है और उसे ही बढ़ावा देना है।
पीएम मोदी के स्थानीय उत्पाद/ ब्रांड को अपनाने की अपील
पीएम मोदी ने 12 मई को कहा था कि आज का बड़ा से बड़ा ब्रांड पहले लोकल ही हुआ करता था। लेकिन प्रचार और प्रसार की वजह से हम कहीं पीछे रह गए हालांकि कोरोना काल हम सबके लिए अवसर है।
एक मायने में ये कोई नया संदेश नहीं है सरकार पहले भी स्वदेशी और भारतीय प्रॉडक्ट को प्रमोट करती आ रही है लेकिन भारतीय मानसिकता यही है कि विदेशी है तो बेहतर है यानि हमें भारतीय उत्पाद के मुकाबले विदेशी सामान ज्यादा लुभाते हैं और हम उन्हीं को खरीदना पसंद करते हैं, लाभ का सीधा सा गणित है कि ये विदेशी कंपनियां मुनाफा देश के बाहर ले जाती हैं।
कोरोना काल में इस मर्म को पहचानते हुए पीएम मोदी ने अपने संदेश में ये संकेत दिया है कि अब देशी उत्पाद जो कई मायनों में बेहतर हैं उनका उपयोग बढ़ाना है ताकि देश की इकॉनामी को बल मिले और देशी कंपनियां भी आगे बढ़कर देश को मजबूत करें।
दरअसल भारत में चीन के उत्पादों की इतनी भरमार है कि हम अपने आसपास देखें तो हर तीसरा या चौथा आइटम हमको चाइनीज मिलेगा, अगर हम इनके इस्तेमाल पर निर्भरता कम करके इंडियन प्रॉडक्ट को अपनाएं तो इसके चीन को झटका लगेगा साथ ही देश का पैसा भी देश में ही सर्कुलेट होगा जिसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।
ज्यादा दिख रहीं, भारत में ही बना...भारत का अपना उत्पाद....जैसी टैग लाइनें
पीएम मोदी की इस देशी अपनाने की अपील का पॉजिटिव असर दिखना शुरु हो गया है, आप अब विज्ञापनों (Advertisement) पर एक निगाह मारें तो देखेंगे चाहें न्यूज पेपर में हो या टीवी या डिजिटल हर जगह आपको भारत में ही बना,,,मेक इन इंडिया,,भारत का अपना उत्पाद,,,जैसी टैग लाइनों पर अब ज्यादा फोकस हो गया है।
आशय साफ है कि कोरोना काल में अब देशी कंपनियां जो विदेशी कंपनियों से फाइट कर रही थीं उनके लिए ये बेहद अनुकूल मौका है अपने देशी ब्रांड को स्थापित करने का उसके प्रमोशन का जिसकी अपील स्वंय देश के नेतृत्व ने की है।
वैसे पंतजलि जैसी स्वदेशी कंपनी की बात करें तो उनका तो शुरु से ही फोकस देशी पर रहा है इस संकट संकट काल में कंपनी ने अब इसपर और ज्यादा ध्यान देना शुरु कर दिया है साथ ही कंपनी देशी उत्पादों की रेंज भी बढ़ा रही है ऐसे ही कई ऐसी स्वदेशी कंपनियां है जिनका उत्पाद एक जमाने से लोग इस्तेमाल कर रहे हैं वो कंपनियां भी अब इस दौर में खुद को और विस्तार देने में लग गई हैं।
गृह मंत्रालय ने पहनाया सबसे पहले अमलीजामा
पीएम नरेंद्र मोदी की इस अपील को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सबसे पहले अमलीजामा पहनाया गृह मंत्री शाह ने एक जून से सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की कैंटीनों पर अब सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री किए जाने का नियम लागू कर दिया, इसका अर्थ यह है कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटीन से विदेशी सामान धीरे धीरे बाहर हो जाएंगे इस कदम के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही रक्षा मंत्रालय की आर्मी कैंटीन में स्वदेशी उत्पाद बेचे जाएंगे।
स्वदेशी जागरण मंच, पहले से ही स्वदेशी उद्योगों एवं संस्कृति के विकास के लिये जनता में जागरूकता पैदा करता है उसके लिए भी ये काफी मुफीद अवसर है कि अपनी बात को प्रमुखता से लागू करवा पाए, मंच का कहना है कि हमारे लिये एक बड़ा अवसर भी है कि हम विश्व पटल में एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभर सकते हैं। स्वदेशी जागरण मंच ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही रक्षा मंत्रालय भी सभी आर्मी कैंटीन में स्वदेशी उत्पाद ही रखेगा।
लब्बोलुबाब ये है कि कोरोना संकट के दौर में तमाम भारतीय कंपनियों के लिए ये बड़ा अवसर है कि तेजी से विदेशी कंपनियों से बढ़ता हासिल करें और देश की इकॉनामी को और मजबूत बनाएं ताकि कोरोना काल बीतने के बाद देश के विकास की रफ्तार में फिर पंख लगाए जा सकें।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।