नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के 10वें दिन जब दोनों पक्षों में जंग और तेज हो गई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक बार फिर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें युद्धग्रस्त यूक्रेन के हालात और वहां से भारतीय नागरिकों को वापस लाने के प्रयासों को लेकर चर्चा हुई। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव से सभी भारतीय छात्रों को निकाला जा चुका है। हालांकि यूक्रेन के कई अन्य शहरों में अब भी सैकड़ों की तादाद में भारतीय छात्र फंसे हैं, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशें जारी हैं।
यूक्रेन संकट के बीच पीएम मोदी बीते एक सप्ताह में ऐसी कई बैठकों की अध्यक्षता कर चुके हैं और शनिवार को उन्होंने इस मसले पर एक और बैठक की है। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके कैबिनेट सहयोगी पीयूष गोयल के अलावा कई शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए।
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इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता यूक्रेन के पूर्वी शहर सूमी में फंसे लगभग 700 भारतीय छात्रों को निकालने को लेकर है, जो रूस की सीमा से सटा है और जहां युद्ध के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। यहां बम विस्फोट और हवाई हमले तेज हो गए हैं और ऐसे में भारतीय छात्रों तक पहुंच और उनकी सुरक्षित निकासी मुश्किल हो रही है। हालांकि सरकार इसके लिए लगातार प्रयासरत है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत का मुख्य ध्यान अब भारतीय छात्रों को सूमी से निकालने पर है। उनकी सुरक्षित निकासी को लेकर कई विकल्प तलाशे जा रहे हैं।
यहां गौर हो कि रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, जिसे आज 10 दिन हो चुके हैं। दोनों पक्षों के बीच भीषण जंग जारी है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को 'नो फ्लाई जोन' घोषित किए जाने को लेकर चेतावनी दी है, जिसकी मांग यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की NATO से करते आ रहे हैं।
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