नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने दावा किया कि किसान आंदोलन के दौरान लगभग साढ़े सात सौ किसान जान गंवा चुके हैं, लेकिन भारत सरकार की ओर से इस पर संवेदना तक नहीं जताई गई। उन्होंने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि केंद्र के रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि वह किसानों के भी प्रधानमंत्री हैं।
राकेश टिकैत का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी इस मसले को लेकर केंद्र सरकार के प्रति अपना रोष जताया और कहा कि दिल्ली के जो नेता जानवरों की मौत पर भी संवेदना जताने से नहीं चूकते, वे किसान आंदोलन में शामिल 600 किसानों की मौत के बाद भी लोकसभा में प्रस्ताव पारित नहीं कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन को समर्थन के चलते अगर उनका पद भी चला जाए तो उन्हें मलाल नहीं होगा। पहले दिन ही उन्होंने तय कर लिया था कि जरूरत हुई तो पद छोड़कर वह किसानों के धरने पर बैठ जाएंगे।
किसान आंदोलन और केंद्र सरकार को लेकर कुछ इसी तरह का बयान बीकेयू नेता राकेश टिकैत का भी सामने आया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 750 किसानों की जान जा चुकी है, लेकिन भारत सरकार की तरफ से इस पर संवेदना तक नहीं जताई गई। उन्होंने कहा, 'देश के किसानों को अब लगने लगा है कि पीएम मोदी शायद किसानों के प्रधानमंत्री नहीं हैं और किसानों को वे इस देश से अलग समझते हैं।'
यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन को एक साल होने जा रहा है। लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है, बल्कि आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच तनाव की स्थिति विगत कुछ महीनों में और बढ़ी है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पंजाब से शुरू हुआ था, जिसके बाद किसानों ने दिल्ली की ओर रुख किया था। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 26 नवंबर, 2020 से ही जारी है।
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