नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन की वैश्वक चुनौतियों को दूर करने में भारत ने अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी की हैं। पीएम ने बुधवार को कहा कि गरीबों तक समान रूप से ऊर्जी की पहुंच सुनिश्चित करना उनकी सरकार की पर्यावरण नीति का प्रमुख हिस्सा रहा है। प्रधानमंत्री ने यह बात टेरी के 21वें विश्व सतत विकास सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस-22) में कही। पीएम ने कहा कि अगले 20 वर्षों में भारत की ऊर्जा जरूरत दोगुनी हो जाएगी।
खतरा पृथ्वी पर नहीं हम पर है-पीएम
अपने वीडियो संदेश में पीएम ने कहा, 'हमने लोगों को यह कहते हुए सुना है कि इस पृथ्वी पर खतरा लेकिन खतरा पृथ्वी पर नहीं हम पर है। प्रकृति एवं इस ग्रह के लिए हमारी प्रतिबद्धताएं कमजोर हुई हैं। 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद पिछले 50 वर्षों में बहुत कुछ कहा और सुना गया है लेकिन इस दिशा में बहुत कम काम हुआ है। फिर भी भारत ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है।'
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'गरीबों तक ऊर्जा पहुंचाना सरकार का लक्ष्य'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'गरीबों तक समान रूप से ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करना सरकार की पर्यावरण नीति का प्रमुख हिस्सा रही है। उज्ज्वला योजना के जरिए 8 करोड़ घरों में गैस कनेक्शन दिए गए हैं। पीएम-कुसुम योजना के जरिए किसानों तक नवीकरणीय ऊर्जा पहुंचाई गई है।' पीएम ने कहा कि सरकार किसानों को सौर ऊर्जा के लिए पैनल लगाने एवं इससे बची हुई ऊर्जा को बिजली कंपनियों को बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
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राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का भी जिक्र किया
उन्होंने कहा कि सौर पंप लगाने और मौजूदा पंप को सौर ऊर्जा चालित बनाने के प्रयास बढ़ा दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है जिससे धारणीय और समता को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। पीएम ने आगे कहा कि एलईडी बल्ब वितरण योजना सात साल से चलाई जा रही है और इसने 220 अरब यूनिट से अधिक बिजली बचाने में मदद की। मोदी ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का भी जिक्र किया, जिसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन का उपयोग करना है।
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