नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीयों और युवाओं से अपील की कि वे भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए वर्तमान समस्याओं और चुनौतियों का दीर्घकालिक समाधान खोजें। शनिवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर धर्म चक्र कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, बुद्ध की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश 'विचार और कार्य' दोनों में सरलता की सीख देते हैं। आज विश्व असाधारण चुनौतियों से निपट रहा है, इन चुनौतियों का स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, 'मैं आज आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर सभी को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज का दिन हमारे गुरुओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने हमें ज्ञान दिया। उस भावना में, हम भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हैं। भगवान बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग कई समाज और राष्ट्र के कल्याण की दिशा में रास्ता दिखाता है। यह करुणा और दया के महत्व पर प्रकाश डालता है।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज दुनिया असाधारण चुनौतियों से लड़ रही है। इन चुनौतियों के लिए स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से आ सकते हैं। वे अतीत में प्रासंगिक थे। वे वर्तमान में प्रासंगिक हैं। और, वे भविष्य में प्रासंगिक बने रहेंगे।' पीएम मोदी ने युवा भारतीयों से आग्रह किया कि वे बुद्ध की शिक्षाओं और विचारों को हर समय ध्यान में रखें क्योंकि वे प्रेरित कर सकते हैं और शांत रख सकते हैं, रास्ता भी दिखा सकते हैं।
पीएम ने कहा कि बौद्ध धर्म सम्मान सिखाता है। लोगों का सम्मान, गरीबों का सम्मान, महिलाओं का सम्मान, शांति का सम्मान और अहिंसा। इसलिए, बौद्ध धर्म की शिक्षाएं स्थायी साधन हैं।
धर्म चक्र दिवस का आयोजन
आज भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) धर्म चक्र दिवस के रूप में आषाढ़ पूर्णिमा मनाया गया। यह दिवस उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट वर्तमान समय के सारनाथ में ऋषिपटन स्थित हिरण उद्यान में आज ही के दिन महात्मा बुद्ध द्वारा अपने प्रथम पांच तपस्वी शिष्यों को दिए गए ‘प्रथम उपदेश’ को ध्यान में रखकर मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के बौद्धों द्वारा धर्म चक्र प्रवर्तन या ‘धर्म के चक्र के घूमने’ के दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन बौद्धों और हिंदुओं दोनों ही के द्वारा अपने-अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए ‘गुरु पूर्णिमा’ के रूप में भी मनाया जाता है।
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