बंगाल में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैली, बांकुरा में तरकश से निकलेंगे और तीर

देश
ललित राय
Updated Mar 20, 2021 | 21:51 IST

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में रैली को संबोधित करने के क्रम में रविवार को बांकुरा में होंगे। वो अपने संबोधनों में स्लोगन और प्रतीकों के जरिए ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

बंगाल में पीएम मोदी की रैली का दूसरा दिन, तरकश से निकलेंगे और तीर
पीएम नरेंद्र मोदी बांकुरा में रैली को करेंगे संबोधित 
मुख्य बातें
  • बंगाल में पीएम मोदी ने पुुुरुलिया, मिदनापुर और खड़गपुर में रैली को कर चुके हैं संबोधित
  • बंगाल में खेला शेष होबे, विकास आरंभ होबे, ममता बनर्जी पर साधा निशाना
  • बंगाल में सियासी पारा चढ़ा, आठ चरणों में होने जा रहे हैं चुनाव

कोलकाता। पश्चिम बंगाल 2021 चुनाव के कई मायने हैं। पहला तो ये अगर ममता बनर्जी तीसरी बार जीतने में कामयाब होती हैं तो उसका अर्थ यह होगा कि बीजेपी को अभी वहां के मानस में उतरने में और समय लगेगा। अगर बीजेपी सत्ता हासिल करने में कामयाब होती है को ममता बनर्जी जिस मां, माटी और मानुष का नारा बुलंद कर सत्ता पर काबिज थीं तो उन्हें सोचना होगा कि आखिर चूक कहां हो गई। इन सबके बीच पीएम नरेंद्र मोदी का बांकुरा रैली पर हर किसी की नजर टिकी है। पीएम मोदी अगले 10 दिनों में कुल चार बड़ी रैली करने वाले हैं जिनमें पुरुलिया और खड़गपुर में सभा को संबोधित कर चुके हैं।

टीएमसी पर पीएम मोदी का करारा वार
पुरुलिया की रैली में उन्होंने कहा कि 2019 में टीएमसी हाफ तो अबकी दफा हाफ। इसके साथ ही खड़गपुर की रैली में उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिंगल विंडो सिस्टम अलग तरह से काम करता है तो यहां पर भाइपो सिस्टम है, बिना उसके कुछ भी नहीं होता। अवैध खनन का तार कहां तक जुड़ता है उसे बंगाल का बच्चा बच्चा जानता है। इसके साथ ही दिलीप घोष पर कई बार जानलेवा हमले का जिक्र कर ममता बनर्जी की घेरेबंदी की।

चुनावों में नारों का जोर
बंगाल के चुनाव में इस दफा प्रतीकों और स्लोगन की भरपूर मदद ली जा रही है। इस चुनाव में अब तक 2019 में टीएमसी हाफ, इस दफा साफ, खेला होबे तो इसके जवाब में खेला शेष होबे, विकास आरंभ होबे का इस्तेमाल हुआ। इसके साथ भी ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस और लेफ्ट दोनों हमलावर हैं।

ममता के तर्क पर बीजेपी का बयान 
ममता बनर्जी एक तरफ कहती हैं कि उनकी सत्ता बरकरार रहेगी तो दूसरी तरफ उन्हें अल्पसंख्यक वोटों में बिखराव का भी डर सता रहा है। खास बात यह है कि फुरफुरा शरीफ और असदुद्दीन ओवैसी के बारे में बात की जाती है तो वो बिफर पड़ती हैं। अल्पसंख्यक मतों के बारे में बीजेपी कहती है कि उसका तो नारा सबका साथ और सबका विकास का है, लिहाजा उसे फर्क नहीं पड़ता कि अल्पसंख्यक कौन है। ये बात अलग है कि ममता बनर्जी को जरूर सोचना पड़ेगा कि जिनके लिए वो अपना रंग दिखाती रही हैं इस दफा उनके हाथ में क्या आएगा।

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