पैगंबर विवाद के बाद PM मोदी का पहला अरब दौरा, जाएंगे UAE,जानें क्यों है अहम

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jun 23, 2022 | 20:21 IST

PM Narendra Modi Visit UAE: यूएई भारत का प्रमुख साझीदार रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद साफ है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

PM MODI VISIT UAE
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई की यात्रा करेंगे।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • यूएई, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर देश के समहू गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) का सदस्य है।
  • अपराधियों को पकड़ने में मददगार रहा है यूएई
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूएई ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, 'ऑर्डर ऑफ जायद' से भी सम्मानित कर चुका है।

PM Narendra Modi Visit UAE: पैगंबर साहेब पर भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल की टिप्पणी पर विवाद के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पहली बार संयुक्त अरब अमीरात (UAE)जा रहे हैं। यूएई भी उन मुस्लिम देशों में शामिल था, जिसने पैंगबर साहेब पर भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा टिप्पणी करने पर कड़ा ऐतराज जताया था। इस मामले में यूएई के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था जो व्यवहार नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ है, उसे यूएई खारिज करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद 28 जून को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचेंगे।

प्रधानमंत्री का दौरा क्यों है अहम

यूएई भारत का प्रमुख साझीदार रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद साफ है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार,  प्रधानमंत्री इस मौके पर संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर व्यक्तिगत संवेदना व्यक्त करेंगे। इसके साथ ही वह शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को यूएई के नए राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में चुने जाने पर बधाई भी देंगे। पैगंबर विवाद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अरब देशों में सबसे पहले यूएई जाना, दोनों देशों के रिश्तों की मजबूती को दिखाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूएई ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, 'ऑर्डर ऑफ जायद' से भी सम्मानित कर चुका है।

यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच 60,664.37 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। जिसमें भारत 38,901.88 करोड़ रुपये का आयात करता है। जबकि 21,762.49 करोड़ रुपये निर्यात करता है। इसके अलावा वहां पर करीब 27.5 लाख भारतीय रहते हैं। जो बड़े मात्रा में हर साल विदेशी मुद्रा भी भारत में अपने परिवारजनों को भेजते हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में विदेशों में बसे भारतीयों ने करीब 87 अरब डॉलर की रकम भारत में रहने वाले अपने परिवार के लोगों के पास भेजी है। इसमें से 60 फीसदी यानी करीब 50 अरब डॉलर खाड़ी देशों से भेजा गया है। इसमें से बड़ी रकम यूएई से ही भेजी गई है। इसके अलावा यूएई सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर देश के समहू गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) का सदस्य भी है।

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भारत-यूएई में इन चीजों का प्रमुख कारोबार

वाणिज्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार,यूएई को भारत पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती धातुएं, पत्थर, रत्न और आभूषण, खनिज, खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और समुद्री भोजन, कपड़ा, इंजीनियरिंग और मशीनरी उत्पाद और रसायन निर्यात करता है।  वहीं संयुक्त अरब अमीरात से भारत को पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती धातुएं, पत्थर, रत्न और आभूषण, खनिज, रसायन और लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद आयात होता है। 2019-2020 में भारत ने यूएई से 10.9 अरब डॉलर का कच्चा तेल का आयात किया था। 

अपराधियों को पकड़ने में मददगार रहा है यूएई

रिपोर्ट के अनुसार अगस्ता वेस्टलैंड डील में मिडिलमैन क्रिश्चियन मिशेल से लेकर इंडियन मुजाहिदीन का अब्दुल वाहिद सिद्दबापा, दाउद इब्राहामी का करीबी फारुख टकला, दाउद का भाई इकबाल शेख कासकार से लेकर करीब 19 अपराधियों का प्रत्यर्पण 2002 से 2018 के दौरान यूएई ने भारत को किया है। जाहिर है, भारत के लिए न केवल कारोबारी बल्कि कूटनीति के स्तर पर भी खाड़ी देश काफी अहम रखते हैं। इसके अलावा चाहे कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की बात हो या फिर CAA का मुद्दा रहा हो खाड़ी देशों ने भारत के पक्ष का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से समर्थन किया है। ऐसे में पैगंबर विवाद को लेकर भारत और खाड़ी देशों पर असर पड़ता है तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ा सेटबैक होगा।

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