नई दिल्ली। देश में शनिवार से कोरोना टीकाकरण की पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया। इस चरण में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पहले दिन किसी भी शख्स ने किसी तरह की शिकायत नहीं दर्ज कराई है। बता दें कि आरएमएल अस्पताल के कुछ डॉक्टरों ने मांग की है उन्हें कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड लगाई जाए। हालांकि एम्स में कोवैक्सीन लगाई गई जिसके लाभार्थी खुद एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया बने। जिन लोगों को कोवैक्सीन की पहली डोज दी गई है उनसे सहमति पत्र भरवाया गया है जिसमें लिखा गया है कि अगर किसी तरह की गंभीर समस्या आती है तो मुआवजा दिया जाएगा।
कोवैक्सीन पर सियासी सवाल
कोवैक्सीन के पहले और दूसरे ट्रायल में एंटी बॉडी डेवलप होने की पुष्टि हो चुकी है और तीसरे चरण का ट्रायल जारी है। सियासी गलियारे में इसी बात को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि जब इस वैक्सीन का तीसरा चरण जारी है तो वैक्सीन क्यों लगाई जा रही है। बता दें कि कोवैक्सीन क्लिनिकली सुरक्षित इसे सत्यापित किया जाना बाकी है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि वैक्सीन लेने के बाद भी पहले की तरह ऐहतियायत बरतना जरूरी है। कोवैक्सीन लेने वालों को भरोसा दिलाया गया है कि अगर किसी तरह की दिक्कत होती है तो उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा मान्यता प्राप्त अस्पतालों में मुहैया कराई जाएगी।
भारत बायोटेक देगा हर्जाना
कंसेंट फार्म में स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी लाभार्थी को गंभीर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत आती है तो भारत बायोटेक की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए टीका लेने वालों को एक फैक्टशीट दी गई है ताकि वो सात दिनों के अंदर किसी तरह की दिक्कत को लिख सकते। स्वदेशी वैक्सीन को डीसीजीआई ने क्लिनिकल ट्रायल मोड में इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी है। बता दें कि एम्स में पहला टीका एक सफाई कर्मी को दी गई उसके बाद एक डॉक्टर, निदेशक रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल शामिल थे।
ICMR के निदेशक ने क्या कहा था
आईसीएमआर के निदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा था कि क्लिनिकल मोड का मतलब है कि ऐसे लोगो जिन्हें कोवैक्सी दिया जाएगा वो पहले अपनी सहमति देंगे। लाभार्थी को प्लैसिबो नहीं दिया जाएगा और उसके साथ ही उनकी निगरानी की जाएगी। दिल्ली में कुल 81 केंद्रों पर टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हुई जिसमें एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, कलावती सरन चिल्ड्रेन और ईएसआई के दो अस्पताल थे।
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