Logtantra: ममता बनर्जी के बंगाल में शांति की बात भी सियासत को अच्छी नहीं लगती है?

पश्चिम बंगाल में पैगंबर विवाद को लेकर जारी हिंसा के बीच मुर्शिदाबाद पुलिस ने एक युवती को गिरफ्तार किया है। युवती के खिलाफ फेसबुक पर उसकी एक पोस्ट को लेकर कार्रवाई की गई है। युवती को 6 दिन के लिए जूडिशल कस्टडी में भेज दिया गया है। युवती ने बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट लिखकर प्रदर्शनकारियों को देश छोड़ने के लिए कहा था।

West Bengal STUDENT FB Post
हिंसा की आग से परेशान एक बच्ची को अपने मन की बात सार्वजनिक करना भारी पड़ गया 

कैसे सियासत हर राज्य में अपना रंग बदल लेती है। कैसे सियासत की भाषा बदल जाती है। और कैसे शांति की बात भी सियासत को अच्छी नहीं लगती है। पश्चिम  बंगाल ( West Bengal) चलते हैं, जहां लगातार हिंसा को लेकर एक छात्रा ने फेसबुक पोस्ट लिखा..और उसमें हिंसा के खिलाफ कुछ बातें लिखीं। जिसके बाद ऐसा बवाल शुरू हुआ कि...मुर्शिदाबाद की उस छात्रा को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया...बल्कि उसे जेल भेज दिया गया।

सवाल ये है कि..आखिर बंगाल की सरकार और बंगाल की पुलिस शांति शब्द से परहेज क्यों करती है। और इस गिरफ्तारी के बाद सवाल तो ये भी है कि..क्या बंगाल में हिंसा फैलाने वाला सुरक्षित है..और शांति की बात करने वाला जेल जाएगा। 

'ये उस बंगाल की कहानी है, जिसकी मुखिया को पूरा प्रदेश 'दीदी' के नाम से पुकारता है'

बंगाल समेत देश के कई राज्यों में लगी हिंसा की आग से परेशान एक बच्ची को अपने मन की बात सार्वजनिक करना भारी पड़ गया। ये उस बंगाल की कहानी है, जिसकी मुखिया ममता बनर्जी अपनी सियासी विचारधारा को हर दिन..केंद्र वाली बीजेपी की सरकार से अच्छी विचारधारा बताती हैं। ये उस बंगाल की कहानी है, जिसकी मुखिया को पूरा प्रदेश दीदी के नाम से पुकारता है. लेकिन दीदी हैं कि..उन्हें बंगाल की एक बेटी के उठाए सवाल शूल की तरह चुभ गए। फेसबुक पर एक पोस्ट क्या लिखा..बच्ची को जेल तक भेज दिया।

हिंसा किसे अच्छी लगती है, शायद किसी को भी नहीं। कहीं भी नहीं। बंगाल के मुर्शिदाबाद की रहने वाली एक छात्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए..यही बातें अपने दोस्तों से साझा की..जो कुछ ही घंटों में उसके लिए गले की फांस बन गई। और बंगाल की सरकार को ये बात किसी कांटे की तरह चुभने लगी। मुर्शिदाबाद की पुलिस को भी छात्रा की बातें बुरी लगी..उसे गिरफ्तार कर लिया गया। 

"उसमें ना तो कोई उन्मादी बातें थी। ना ही हिंसा को बढ़ावा देने वाली कोई बातें''

मुर्शिदाबाद की रहने वाली ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर की एक स्टूडेंट ने अपने फेसबुक पोस्ट में जिस बात का जिक्र किया है, उसमें ना तो कोई उन्मादी बातें थी। ना ही हिंसा को बढ़ावा देने वाली कोई बातें। उसमें अगर कुछ है तो सिर्फ यही कि..हिंसा को किसी भी तरह से और कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन ये बात ममता सरकार को नागवार गुजर गई। पुलिस ने बच्ची को गिरफ्तार कर लिया।  

छात्रा के एक फेसबुक पोस्ट पर सिर्फ पुलिस ही एक्टिव नहीं हुई...सबसे पहले वो लोग एक्टिव हुए..जिन्हें हिंसा ना करने की सोच के साथ ये बातें लिखी गई थी। मुर्शिदाबाद में हिंसा की आग को बढ़ावा देने वाले कुछ लोग..इस फेसबुक पोस्ट को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे। हंगामा किया। पत्थरबाजी की। छात्रा को अरेस्ट करने की मांग की। फिर बाद में कोर्ट ने बच्ची को 6 दिन के लिए  न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। 

फेसबुक पोस्ट से बवाल !

गिरफ्तारी के बाद बच्ची को अदालत में पेश किया गया 
कोर्ट ने छात्रा को 6 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा
ये कहानी सिर्फ वहीं तक नहीं है। फेसबुक पोस्ट को लेकर जब तक छात्रा की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। तब तक मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में जबरदस्त हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे। कुछ लोगों ने छात्रा के घर पर भी हमला किया था। आगजनी की कोशिश की। लेकिन हैरानी इस बात को लेकर है, कि अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। 

सियासत में सबसे आसान होता है...अपनी शर्ट को दूसरे की शर्ट से ज्यादा सफेद बताना। और ममता बनर्जी ये बताने में अब इतनी माहिर हो चुकी हैं। कि वो वोटों की राजनीति के लिए न्याय-अन्नाय का फर्क समझना भी भूल बैठी हैं। वरना, एक बच्ची के फेसबुक पोस्ट पर उनकी पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने ऐसे नतमस्तक नहीं होती। 

छात्रा को इस बात का अंदाज़ा हो चला था कि..उसकी एक नसीहत उन हजारों लोगों को मिर्ची की तरह लगेगी। जो हर छोटी बड़ी बात पर हिंसा को अपना हथियार बना लेते हैं। शायद इसीलिए उसने अपने फेसबुक से एक और अपील की थी। लेकिन तब तक तो बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और उनकी पुलिस अलग एक्शन आ चुकी थी। 

ये पहली बार नहीं है, जब ममता बनर्जी पर ये आरोप लगे हों कि..वो हिंसा करने वालों के खिलाफ चुप रहती हैं। औऱ अभी जिस हिंदू छात्रा के एक फेसबुक पोस्ट पर पूरी ममता सरकार का रुख है..उससे कई बातें खुद ही साफ हो रही है। ये ठीक वैसा संदेश लग रहा है कि..अगर आप हिंसा फैलाओगे, तोड़फोड़ करोगे, दंगा-फसाद मचाओगे, तो ही आप बंगाल में सुरक्षित रहोगे, लेकिन शांति की बात करोगे तो जेल में डाल दिए जाओगे!

ये भी नहीं है कि...सिर्फ बंगाल में ही सोशल मीडिया पर लिखी गई बातों से पुलिस या प्रशासन को दिक्कतें आ रही है..हम आपको हाल के कुछ ऐसे ही मामलों के बारे में बताते हैं..जिसमें एक टिप्पणी पर या तो गिरफ्तार कर लिया गया..या फिर पुलिस ने हिरासत में ले लिया

महाराष्ट्र- 

14 मई 2022
मराठी एक्ट्रेस केतकी गिरफ्तार 
शरद पवार को लेकर पोस्ट किया था
केतकी चीतले अभी भी जेल में हैं 

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प. बंगाल- 

5 जून 2022 
यूट्यूबर रोडूर रॉय गिरफ्तार 
ममता बनर्जी को लेकर टिप्पणी
अभिषेक बनर्जी पर भी टिप्पणी

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छत्तीसगढ़- 

12 जून 2019 
फेसबुक पर लिखने के आरोप में शख्स गिरफ्तार 
भूपेश बघेल को लेकर बयान दिया था 

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राजस्थान-

दिसंबर, 2020
अलवर से 30 साल का शख्स पुलिस हिरासत में
सीएम गहलोत के फेसबुक पेज पर टिप्पणी 

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