दिल्ली और एनसीआर की हर सांस पर प्रदूषण का पहरा है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को झिड़की लगाई और कहा कि दोनों पक्ष नई कार्ययोजना के साथ सोमवार को अदालत आएं। अदालत की टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार की तरफ से इमरजेंसी मीटिंग हुई जिसमें कई फैसले किए गए। इन सबके बीच मेदांता अस्पताल के सीनियर डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि ऐसे मरीज जो कोरोना से उबरे हैं उनके लिए प्रदूषण घातक है।
कोविड से उबरे मरीजों के लिए प्रदूषण खतरनाक
डॉ अरविंद कुमार, अध्यक्ष, चेस्ट सर्जरी संस्थान, मेदांता अस्पताल ने कहा कि हमारे पास बड़ी संख्या में COVID से ठीक हुए मरीज हैं। इस तरह की जहरीली हवा के लगातार संपर्क में रहने से उनके फेफड़े गंभीर जटिलताओं की चपेट में आ जाते हैं। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए हर संभव उपाय करना समय की मांग है।पिछले कुछ दिनों से हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। शुक्रवार की शाम हमने हाल के दिनों में शायद सबसे खराब वायु गुणवत्ता का अनुभव किया। मुझे सांस की कोई समस्या नहीं है लेकिन मुझे घुटन महसूस हुई।
अदालती टिप्पणी का कितना होगा असर
दिल्ली और एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण का स्तर 500 के पार है। यह वो आंकड़ा है जब आपातकालीन स्थिति का ऐलान कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समझ के बाहर है कि केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों प्रदूषण के लिए पराली और किसानों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। आखिर आप लोग कब तक किसानों को दोषी ठहराते रहेंगे। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि अगले प्लान के साथ 15 नवंबर को मौजूद हों। अदालती फटकार का असर भी पड़ा और दिल्ली सरकार ने एक हफ्ते के लिये स्कूलों और सरकारी दफ्तरों को बंद कर दिया।
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