Prashant Kishor: अब केजरीवाल के साथ जुड़े प्रशांत किशोर, दिल्ली चुनाव प्रचार की संभालेंगे कमान

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Updated Dec 14, 2019 | 11:34 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Prashant Kishor: चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़े हैं। उनकी कंपनी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार को संभालेगी।

Prashant Kishor
प्रशांत किशोर 

नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का साथ मिला है। प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC दिल्ली चुनाव में AAP के चुनाव प्रचार को संभालेगी। केजरीवाल ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर कई राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुके हैं या कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी पार्टी जेडीयू के रुख पर नाराजगी जाहिर की। वो इस बिल के खिलाफ थे, जबकि जेडीयू ने संसद में इसका समर्थन किया।

केजरीवाल के ट्वीट पर I-PAC ने जवाब दिया, 'पंजाब के परिणामों के बाद हमने आपको सबसे कठिन प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्वीकार किया। अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ने की खुशी है।' केजरीवाल ने ने ट्वीट किया था, 'मुझे यह खबर साझा करते हुए खुशी हो रही है कि इंडियनपैक ने हमारे साथ हाथ मिलाया है। आपका स्वागत है।'

 

इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को जीत दिलाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के लिए भी काम कर रही है। चुनावी राजनीति के चाणक्य के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर को कई चुनावी जीत का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए काम किया है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी काम किया था।

सबसे पहले प्रशांत किशोर तब चर्चा में आए जब 2014 के लोकसभा चुनावों के में उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रचार को संभाला। बीजेपी की सफलता से उन्होंने भी ऊंचाइयों को छूना शुरू कर दिया। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले महागठबंधन के लिए भी काम किया था।

प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम किया। जिसमें वाईएसआर कांग्रेस ने इस साल 25 लोकसभा सीटों में से 22 और 175 विधानसभा सीटों में से 151 सीटों पर जीत दर्ज की। प्रशांत किशोर ने 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के लिए काम किया था और कांग्रेस को अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करने की सलाह दी थी। लेकिन उस दौरान कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था और समाजवादी पार्टी ने अपनी सत्ता गंवा दी थी। 

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