प्रधानमंत्री मोदी 2 सितंबर को देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे

प्रधानमंत्री मोदी 1 और 2 सितंबर को कर्नाटक और केरल का दौरा करेंगे। इस दौरान वह कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को हरी झंडी दिखाएंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो सितंबर को कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे 
मुख्य बातें
  • विमान वाहक पोत का नामकरण उसके पूर्ववर्ती ‘आईएनएस विक्रांत’ के नाम पर किया गया है
  • स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत 2 सितंबर को नौसेना में शामिल होगा
  • यह पहला ऐसा पोत है, जिसे पूरी तरह से स्वदेश में बनाया गया है

नई दिल्ली: स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत 2 सितंबर को नौसेना में शामिल होगा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो सितंबर को कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।पीएमओ ने बताया कि मोदी एक-दो सितंबर को कर्नाटक और केरल में कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे, जिसमें कोचीन हवाईअड्डे के पास कलाडी गांव में आदि शंकराचार्य के जन्मस्थान का दौरा भी शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदी 1 और 2 सितंबर को कर्नाटक और केरल का दौरा करेंगे। इस दौरान वह कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को हरी झंडी दिखाएंगे।1 सितंबर की शाम को, वह कोचीन हवाईअड्डे के पास कलाडी गांव में आदि शंकराचार्य के पवित्र जन्मस्थान श्री आदि शंकर जन्मभूमि क्षेत्र का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री 2 सितंबर को सुबह 9.30 बजे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत चालू करेंगे। इसके बाद दोपहर में प्रधानमंत्री मंगलुरु में करीब 3800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

पीएमओ के मुताबिक, प्रधानमंत्री मंगलुरु में करीब 3,800 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे।प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि मोदी आत्मनिर्भरता के प्रबल समर्थक रहे हैं, खासकर रणनीतिक क्षेत्रों में, और ‘आईएनएस विक्रांत’ का नौसेना में शामिल होना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।यह पहला ऐसा पोत है, जिसे पूरी तरह से स्वदेश में बनाया गया है।भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया और सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड द्वारा निर्मित ‘आईएनएस विक्रांत’ अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं से लैस है। यह भारत के समुद्री इतिहास में देश में निर्मित अब तक का सबसे बड़ा पोत है।

पीएमओ के अनुसार, विमान वाहक पोत का नामकरण उसके पूर्ववर्ती ‘आईएनएस विक्रांत’ के नाम पर किया गया है, जो भारत का पहला विमान वाहक पोत था और जिसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पोत में बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी लगाई गई है, जिनका निर्माण देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों) ने किया है।पीएमओ के मुताबिक, ‘आईएनएस विक्रांत’ के नौसेना में शामिल होने के साथ भारत के पास दो क्रियाशील विमान वाहक पोत हो जाएंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि मोदी नए नौसैनिक ध्वज (निशान) का भी अनावरण करेंगे, जो औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप होगा। पीएमओ के अनुसार, मंगलुरु में प्रधानमंत्री ‘बर्थ संख्या14’ के मशीनीकरण से जुड़ी 280 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना का उद्घाटन करेंगे, जिसका उद्देश्य न्यू मैंगलोर बंदरगाह प्राधिकरण में कंटेनर और अन्य कार्गो के बेहतर प्रबंधन की क्षमता विकसित करना है।प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि मशीनीकृत टर्मिनल से दक्षता बढ़ेगी और बंदरगाह पर प्रक्रिया को अंजाम देने तथा माल ढुलाई के समय में लगभग 35 फीसदी तक की कमी आएगी।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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