नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भूमि पूजन किया और राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी। भूमि पूजन में पीएम मोदी के शामिल होने पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर सवाल उठाया है। ओवैसी ने कहा है कि मैंने पहले कहा था कि प्रधानमंत्री को भूमि पूजन में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि सरकार का कोई धर्म नहीं है। उन्होंने (पीएम) अपनी शपथ का उल्लंघन किया है। उन्होंने संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन किया है। आज हिंदुत्व की जीत हुई है और लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की हार हुई है।
ओवैसी ने कहा, 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। प्रधानमंत्री ने राम मंदिर की आधारशिला रखकर शपथ का उल्लंघन किया है। उन्होंने संविधान के बुनियादी ढांचे 'सेक्युलरिज्म' (धर्मनिरपेक्षता) का उल्लंघन किया है। यह लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की हार और हिंदुत्व की सफलता का दिन है। प्रधानमंत्री ने आज कहा कि वह भावुक थे। मैं कहना चाहता हूं कि मैं भी उतना ही भावुक हूं क्योंकि मैं सह-अस्तित्व और नागरिकता की समानता में विश्वास करता हूं। श्रीमान प्रधानमंत्री, मैं भावुक हूं क्योंकि एक मस्जिद 450 साल से वहां खड़ी थी।'
उन्होंने कहा कि आज का दिन बहुसंख्यकवाद की राजनीति के दिन के रूप में याद किया जाएगा। मोदी ने हिंदुत्व का एजेंडा तय किया है। आपकी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला था और 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। देश का प्रतीक मंदिर या मस्जिद नहीं हो सकता।
भूमि पूजन समारोह से पहले ओवैसी ने ट्वीट कर कहा था, 'अगर नरेंद्र मोदी आधिकारिक तौर पर भूमि पूजन में शामिल होते हैं तो वो शपथ के खिलाफ होगा। धर्मनिरपेक्षता ही भारतीय संविधान का मूल अधिकार है। हम इस सच्चाई से कैसे इंकार कर सकते हैं कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद 400 साल तक खड़ी रही और 1992 में आपराधिक कृत्य में गिरा दिया गया। बाबरी मस्जिद को 1992 में कारसेवकों ने गिरा दिया जिन्होंने मस्जिद वाली जगह पर पुरातन राम मंदिर होने का दावा किया था।'
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