Farmer Suicide:सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के किसान ने खाया जहर,अस्पताल में दम तोड़ा

देश
रवि वैश्य
Updated Jan 09, 2021 | 22:24 IST

सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के रहने वाले एक युवा किसान अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया, इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई,इसके बाद से किसानों में बेहद आक्रोश है।

Punjab farmer ate poison at Singhu border died in hospital
प्रतीकात्मक फोटो 
मुख्य बातें
  • सिंघु बॉर्डर पर एक युवा किसान अमरिंदर सिंह ने जहर खा लिया
  • किसान ने जारी आंदोलन के बीच मंच के पीछे जाकर जहर निगल लिया
  • डॉक्टरों ने उनका इलाज शुरू किया इस दौरान उनकी मौत हो गई

नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के बीच शनिवार की शाम बड़ी खबर सामने आई जब एक युवा किसान जिसकी उम्र करीब 40 साल बताई जा रही है उसने जहर खा लिया, बताते हैं कि वह मंच के पीछे पहुंचे और बिना किसी को बताए जहर निगल लिया, ये जानकारी होते ही वहां हड़कंप मच गया और उनकी हालत बिगड़ने पर उनको तत्काल एंबुलेंस से शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों किसान का उपचार शुरू किया मगर कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई।

किसान की पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब निवासी सरदार अमरिंदर सिंह के हुई है, जारी इस आंदोलन के दौरान अब तक कई किसानों की मौत हो चुकी है,कुछ किसानों की ठंड के कारण मौत हुई तो कुछ ने खुदकुशी कर ली है। शव को पोस्टमार्टम को भिजवाया जा रहा है वहीं किसान के पास जहर कहां से आया, इसकी जांच की जा रही है। 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को घेरा

किसानों की मौत को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को घेरा उन्होंने किसानों की मांग स्वीकार न करने पर केंद्र की मोदी सरकार को असंवेदनशील करार दिया।प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया था कि सर्द मौसम में दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान भाइयों की मौत की खबरें विचलित करने वाली हैं।

वहीं मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चेन्नई में भी पेरुमल नाम के एक किसान ने अपनी जान दे दी उन्होंने सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उसने किसानों के समर्थन में खुदकुशी की बात कही है।

26 नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन

किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है जहां किसान कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं वहीं सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है मगर मसला वहीं का वहीं टिका हुआ है।


 

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