नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलेगा। कोरोना काल की वजह से बैठने की व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। इसके साथ ही मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा। इस संबंध में राज्यसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी की है। हालांकि शून्य काल और दूसरे विधाई कार्य पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की ही तरह होंगे। जो लोग सदन की कार्यवाही का हिस्सा होंगे उन्हें तय गाइडलाइन का पालन करना होगा इसके साथ ही तीन दिन पहले यानि 72 घंटे पहले कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य होगा।
लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा
मैंने चार महीने पहले कहा था कि मज़बूत नेता लोकतंत्र और असहमति के लिए महामारी के बहाने का इस्तेमाल करेंगे। विलंबित संसद सत्र के लिए अधिसूचना की घोषणा की गई कि प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर यह कैसे उचित हो सकता है?
वीकेंड पर भी सदन की कार्यवाही
बताया जा रहा है कि मानसून सत्र में वीकेंड पर छुट्टी नहीं होगी यानि कि शनिवार और रविवार को भी काम होगा। सदन शुरू होने के पहले दिन यानि 14 सितंबर को लोकसभा में कार्यवाही सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक और राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे से शाम सात बजे होगी। लेकिन उसके बाद राज्यसभा पहले हाफ यानि 9 से 1 और लोकसभा 3 से 7 बजे के बीच बैठेगी। संसद के दोनों सदनों में हर एक दिन चार घंटे की कार्यवाही होगी।
विचार मंथन के बाद फैसला
सदन की कार्यवाही को लेकर सभी दलों के साथ लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की सभी दलों के साथ बैठक हुई थी। बैठक में तय किया गया कि कोविड की वजह से मानसून सत्र को रोका नही जा सकता है। कुछ आवश्यक ऐहतियात के साथ हमें विचार करना होगा। बैठक में सभी दलों की सहमति थी कि सेशन के दिनों में कटौती के साथ कोरोना प्रोटोकॉल बनाया जाए जिसे हर एक सदस्य को पालन करना होगा।
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