नई दिल्ली: पांच डसॉल्ट राफेल जेट का पहला बैच 7,000 किमी की यात्रा के बाद आखिरकार आज अंबाला पहुंच गया। केंद्र सरकार ने 2016 में 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपए का सौदा किया था। रूस निर्मित सुखोई-30 एमकेआई की खरीद के बाद एक बार फिर भारतीय वायुसेना को आधुनिक बनाने के लिए यह सौदा किया गया था।
कथित तौर पर परीक्षण के बाद, पांच राफेल विमान पूर्वी लद्दाख में सीमा के पास तैनात किए जाने के लिए भी तैयार हैं, क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन और भारत दोनों के बीच तनाव जारी हैं। इसी के साथ चीन के सबसे बेहतर विमान चेंगदू J-20 के साथ फ्रांस से खरीदे गए भारतीय जेट की तुलना हो रही है।
इन सब कारणों के अलावा राफेल के जे-20 से बेहतर होने का जो सबसे बड़ा तर्क दिया जाता है वो ये है कि राफेल के पास 13 वर्षों में कई सफल ऑपरेशन का अनुभव है और यह अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया, माली और इराक में तैनात अपनी ताकत दिखा चुका है।
दूसरी ओर, J-20 के पास यह अनुभव नहीं है इसलिए इसकी क्षमता पर भी संदेह है। चीन सिर्फ इस बारे में दावे करता आया हा जबकि कोई और देश भी इसका इस्तेमाल नहीं करता।
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