MNS के नए झंडे का रंग केसरिया और केंद्र में शिवाजी की राजमुद्रा, राज ठाकरे ने दिए सियासी संकेत

देश
आलोक राव
Updated Jan 23, 2020 | 14:48 IST

Raj Thackeray's MNS flag : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पार्टी का झंडे बदल दिया है। इस झंडे का रंग केसरिया है और इसके केंद्र में शिवाजी महाराज के समय की राजमुद्रा अंकित है।

Raj Thackeray unveils new flag for MNS on Balasaheb's Birthday, MNS के नए झंडे का रंग केसरिया और केंद्र में शिवाजी की राजमुद्रा, राज ठाकरे ने दिया सियासी संकेत
सामने आया महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नया झंडा।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • बाला साहेब ठाकरे की जयंती के दिन राज ठाकरे ने जारी किया अपनी पार्टी का नया झंडा
  • नए झंडे का रंग केसरिया है और इसके केंद्र में शिवाजी के समय की राजमुद्रा अंकित है
  • शिवसेना के कांग्रेस और राकांपा के साथ जाने पर महाराष्ट्र की राजनीति में अवसर देख रहे राज

नई दिल्ली : दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के झंडे में बदलाव कर बड़ा सियासी संकेत देने की कोशिश की है। राज ठाकरे ने गुरुवार को अपनी पार्टी के लिए नया झंडा जारी किया। इस झंडे का रंग केसरिया और इसके केंद्र में राजमुद्रा अंकित है। मनसे का यह नया झंडा सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया है। राज ठाकरे के इस कदम को उनकी पुरानी कट्टर हिंदुत्वादी विचारधारा एवं छवि की तरफ लौटने से जोड़कर देखा जा रहा है। 

मनसे के इस नए झंडे के केंद्र में जो राजमुद्रा अंकित है उसकी भाषा संस्कृत है। शिवाजी महाराज से पहले मराठा शासकों की मुद्राओं पर अंकित भाषा फारसी में हुआ करती थी लेकिन शिवाजी ने इससे अलग हटकर एक नई परंपरा की शुरुआत की। शिवाजी ने जानबूझकर हिंदुओं को एकजुट करने के लिए राज मुद्राओं की भाषा संस्कृत में अंकित करानी शुरू की। शिवाजी का मानना था कि आत्मसम्मान एवं गरिमा के लिए हिंदुओं का सांस्कृतिक रूप से उत्थान जरूरी है।


राज ठाकरे ने नए झंडे का रंग केसरिया और इस पर अंकित राजमुद्रा शिवाजी से जुड़ी है। बाला साहेब के जन्मदिन के मौके पर नए कलेवर में अपनी पार्टी का झंडा जारी कर मनसे प्रमुख ने शायद यही संदेश देने की कोशिश की है कि वह अपनी पुरानी कट्टरवादी हिंदू छवि, शिवाजी एवं बाला साहेब की विरासत की तरफ लौटना चाहते हैं। बता दें कि राज ठाकरे ने साल 2006 में शिवसेना से अलग होकर अपनी नई पार्टी मनसे बनाई लेकिन राजनीति में उन्हें अब तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है।

महाराष्ट्र में शिवसेना के कांग्रेस और राकांपा के साथ जाने के बाद राज्य की राजनीति में राज ठाकरे को अपने लिए बड़ी भूमिका दिखने लगी है। कुछ समय पहले ऐसी मीडिया में ऐसी रिपोर्ट आईं कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फड़णवीस ने राज ठाकरे से मुलाकात की है। हालांकि, फड़णवीस ने इस मुलाकात से इंकार किया। शिवसेना का साथ छूटने के बाद भाजपा महाराष्ट्र में कट्टरवादी हिंदुत्व सोच रखने वाले जनाधार को अपने साथ जोड़कर रखना चाहती है। ऐसे में राज ठाकरे का पुराना स्वरूप इस तरह की विचारधारा वाले लोगों को उसके साथ जोड़े रख सकता है। 

शिवसेना से अलग राह अपनाने वाले राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में अब तक कुछ बड़ा हासिल नहीं कर पाए हैं। एक समय वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े प्रशंसकों में शुमार थे लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के समय उन्होंने कांग्रेस और राकांपा के लिए प्रचार किया और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की। विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और मनसे करीब-करीब हाशिए पर चली गई।  

कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना के जाने से राज ठाकरे अपने लिए संभावनाएं देख रहे हैं। लोगों को लगता है कि मुख्यमंत्री बनने के लिए उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब की कट्टरवादी हिंदू विचारधारा से समझौता कर तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों का साथ दिया है। बाला साहेब अपने जीवन भर तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ रहे। उद्धव के गठबंधन के साथ जाने से बाला साहेब की विचारधारा और शिवसेना के बीच जो एक दूरी पैदा हुई है राज ठाकरे कहीं न कहीं उस शून्य को भरना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि राज ठाकरे भी आने वाले दिनों में उद्धव ठाकरे की तरह अपने बेटे अमित को सक्रिय राजनीति में उतार सकते हैं।   

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