भरतपुर : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य जोरशोर से जारी है, जिसमें एक अड़चन राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर इलाके में लगी खनन पर रोक है। दअरसल यहां के पहाड़ों से लाल पत्थर निकलता है, जिसका इस्तेमाल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में होना है। लेकिन सरकार ने बीते कई वर्षों से यहां खनन पर रोक लगा रखी है। हालांकि अब सरकार यहां खनन की अनुमति जल्द दे सकती है, जिससे अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में और तेजी आने का अनुमान है।
भरतपुर के जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने बताया कि बंशी पहाड़पुर इलाके के पहाड़ों से लाल पत्थर निकलता है, जिसकी मांग पूरे देश में है, लेकिन 2016 से इस पहाड़ी को सैंक्चुअरी के लिए नोटिफाई किया गया था। उन्होंने बताया कि सबसे पहले इस इलाके को डि-नोटिफाई करना होगा, जिसके बाद ही लीज स्वीकृत की जा सकेगी। यदि यहां खनन की स्वीकृति दी जाती है तो इससे ना केवल पूरे देश में मांग के अनुसार पूर्ति की जा सकेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा और इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा। आज इस इलाके में अवैध खनन चलता है, जिससे माफिया पनपता है और जिला प्रशासन को भी कार्रवाई में समय खराब करना पड़ता है, जिससे बचा जा सकेगा।
भरतपुर के बंशी पहाड़पुर का लाल पत्थर बेहद गुणवत्तापूर्ण होता है और यह हजारों वर्षों तक भी मजबूती के साथ चमकता है। पानी गिरने से इसमें और निखार आता है। इसकी उम्र करीब 5000 वर्ष मानी जाती है जो पानी पड़ने से ज्यादा निखरता है और हजारों वर्ष तक उसी रूप में कायम रहता है। देश की कई ऐतिहासिक इमारतें इसी पत्थर से निर्मित हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बंशी पहाड़पुर से लाल पत्थर बीते कई वर्षों से जाता रहा है। 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान भी बंशी पहाड़पुर काफी चर्चा में रहा, क्योंकि राम शिला पूजन के लिए श्रीराम लिखी विशेष प्रकार की ईंटों का निर्माण भी यहीं कराया गया था।
बताया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 4 घन फुट लाल पत्थर की जरूरत है, जो बंशी पहाड़पुर से जा रहा है। इससे यहां के लोगों में भी काफी खुशी है कि उनके क्षेत्र के पत्थर राम मंदिर के निर्माण में काम आ रहा है। यहां तक कि पत्थर की नक्काशी करने वाले कारीगर भी खुश हैं कि उनके द्वारा तराशे गए पत्थर राम मंदिर निर्माण में इस्तेमाल होंगे।
राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही यहां से लाल पत्थर भेजने का काम तेज गति से शुरू हो चुका है और कारीगर बड़ी संख्या में मंदिर निर्माण के लिए काम आने वाले पत्थरों की तराशी व नक्काशी करने में लगे हुए हैं।
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