राजीव गांधी हत्याकांड में बड़ा फैसला, दोषी पेरारिवलन की सुप्रीम कोर्ट से हुई रिहाई

Rajiv Gandhi murder case: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले में जेल की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन, मरुगन, एक श्रीलंकाई नागरिक सहित अन्य दोषियों की रिहाई की उम्मीद भी जग गई है।  

Rajiv Gandhi murder case: Supreme Court orders to release perarivalan
राजीव गांधी हत्याकांड में शीर्ष अदालत का बड़ा फैसला। 
मुख्य बातें
  • 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हुई थी हत्या
  • इस हत्याकांड में सात लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी
  • बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सजा आजीवन कारावास में बदल दी

Rajiv Gandhi murder case : राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने हत्याकांड के दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। पेरारिवलन पिछले 31 वर्षों से जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पेरारिवलन की समयपूर्व रिहाई की मांग वाली अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले में जेल की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन, मरुगन, एक श्रीलंकाई नागरिक सहित अन्य दोषियों की रिहाई की उम्मीद भी जग गई है।

SC ने पेरारिवलन के अच्छे आचरण का जिक्र किया
सजा को माफ करने में कोर्ट ने उसके अच्छे आचरण का भी जिक्र किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोषी पेरारिवलन पहले ही 31 साल जेल में बीता चुका है।    

7 लोगों को दोषी ठहराया गया था
राजीव गांधी की हत्या मामले में 7 लोगों को दोषी ठहराया गया था। अदालत ने सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई  थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया। इसके बाद कोई राहत न मिलने के बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बता दें कि 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्‍या हुई थी। राजीव एक चुनावी सभा को संबोधित करने श्रीपेरंबुदूर गए थे। इस हत्याकांड में 11 जून 1991 को पेरारिवलन गिरफ्तार हुआ। पेरारिवलन जिस समय गिरफ्तार हुआ उस समय वह 19 साल का था। 

जयललिता ने की थी रिहाई की सिफारिश
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषियों को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता? साल 2016 और 2018 में जे. जयललिता और ए. के. पलानीसामी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी लेकिन राज्यपालों ने इसका पालन नहीं किया।

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