Rajya Sabha Election 2022: 15 दिन में ही फेल हुआ कांग्रेस का चिंतन ! राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक बवाल

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated May 31, 2022 | 18:08 IST

Rajya Sabha election 2022 Congress list: कांग्रेस द्वारा 10 राज्य सभा सीटों के लिए जिस तरह से उम्मीदवारों का चयन किया गया है, उसके बाद राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कई नेताओं ने सीधे और अप्रत्यक्ष रुप से शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Rajya Sabha election 2022 Congress list and dissent
राज्य सभा टिकट वितरण पर कांग्रेस में नाराजगी  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • उदयपुर चिंतन शिविर में सोनिया गांधी ने कहा था कि कांग्रेस ने हमें सब कुछ दिया है, अब कर्ज चुकाने का समय है।
  • सबसे ज्यादा घमासान यूपी के नेता इमरान प्रतापगढ़ी के चयन पर मचा हुआ है।
  • राजस्थान में स्थानीय नेताओं को नजर अंदाज करने के फैसले पर सवाल उठे हैं।

Rajya Sabha election 2022 Congress list: अभी कांग्रेस दिग्गजों के चिंतन किए हुए मुश्किल से 15 दिन भी नहीं बीते कि नया घमासान शुरू हो गया है। मामला राज्य सभा टिकट के वितरण का है। कांग्रेस द्वारा 10 सीटों के लिए जिस तरह से नाम और जगह का चयन किया गया है, उसके बाद राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कई नेताओं ने सीधे और अप्रत्यक्ष रुप से शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नाराजगी का आलम यह है कि नेता सीधे सोनिया गांधी को निशाना बना रहे हैं। लगता है ये नेता सोनिया गांधी की उदयपुर में दी गई नसीहत भूल गए, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने हमें सब कुछ दिया है, अब कर्ज चुकाने का समय है।

पहले अभिनेत्री और कांग्रेस पार्टी की नेता नगमा ने ट्वीट कर सोनिया गांधी पर निशाना साधा और उसके बाद महाराष्ट्र से ही कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय ने यूपी के नेता इमरान प्रतापगढ़ी को राज्य सभा टिकट देने पर AICC को चिट्ठी लिख डाली है। इसके पहले राजस्थान से पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और विधायक संयम लोढ़ा ने भी उम्मीदवारों के चयन पर नाराजगी जताई है। वहीं G-23 के नेता मनीष तिवारी ने यहां तक कह दिया है कि राज्य सभा का पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। और उन्होंने राज्य सभा के औचित्य पर ही सवाल उठा दिए हैं।

6 लाख वोट से हारने वाले पर मेहरबानी क्यों

सबसे ज्यादा घमासान कांग्रेस द्वारा यूपी के नेता इमरान प्रतापगढ़ी के चयन पर मचा हुआ है। मंगलवार को कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय ने AICC को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि क्या पार्टी आलाकमान सिर्फ दिल्ली दरबार करने वालों को ही निष्ठावान और पार्टी को मजबूती प्रदान करने योग्य समझती है? इमरान प्रतापगढ़ी, जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले पार्टी से जुड़े हैं । मुरादाबाद लोकसभा सीट से करीब 6 लाख वोट से हार चुके हैं। वह अभी तक नगर निगम का चुनाव भी नहीं जितवा सके हैं। अब उन्हें राज्यसभा में भेजा जा रहा है। क्या उनके मुशायरे में इतनी खूबी है ।'

इसी तरह राजस्थान से विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता/कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नही बनाने के क्या कारण है ? इसके पहले नगमा ने भी ट्वीट कर कहा था कि सोनिया गांधी ने उन्हें 2003-04 में व्यक्तिगत तौर पर वादा किया था कि उन्हें राज्य सभा का उम्मीदवार बनाएंगी लेकिन 18 साल बीत गए। इसी तरह राजस्थान से आने वाला पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ट्वीट कर लिखा है कि शायद उनकी तपस्या में कोई कमी रह गई।

दो वजहों से नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी 

असल में कांग्रेस ने जिस तरह 10 उम्मीदवारों और उनके राज्य का चयन किया है। उसकी वजह से पार्टी नेताओं में भारी नाराजगी दिख रही है। मसलन राजस्थान में 2023 में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। और राजस्थान से जिन 3 उम्मीदवारों का चयन किया गया है, उनका राजस्थान से कोई नाता नहीं है। मसलन  रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक तीनों राजस्थान के लिए बाहरी हैं। सुरजेवाला हरियाणा के हैं, तो प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश और मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से हैं। 

इसी तरह उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी और इमरान प्रताप गढ़ी को राज्य सभा भेजने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि यूपी विधान सभा चुनाव में केवल 2 सीट जीतने वाले कांग्रेस को 3 नेताओं को राज्य सभा भेजने की क्या जल्दी पड़ी है। ऐसे ही कांग्रेस ने राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से टिकट दिया है। वहां भी स्थानीय नेताओं की अनदेखी की गई है।

वफादारी और बगावत पर फैसला

असल में अगर कांग्रेस नेतृत्व के टिकट वितरण तरीके को देखा जाया तो उसमें साफ तौर पर गांधी परिवार से वफादारी रखने वालों को तरजीह दी गई है। जबकि उन पर सवाल उठाने वालों से दूरी बनाई गई है। इसके लिए स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज किया गया है। क्योंकि अब कांग्रेस के पास ऐसी ताकत नहीं बची है कि वह अपने दम पर ज्यादा सीटें जिता पाए। 10 जून को होने वाले 57 सीटों में 10 सीटों पर कांग्रेस के लिए जीत आसान दिख रही है। इसीलिए राज्य सभा में विपक्ष के नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद और पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा को G-23 में शामिल होने की सजा मिली है। वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, राजीव शुक्ला, रंजीत रंजन को मुश्किल वक्त में गांधी परिवार के साथ खड़े रहने का ईनाम मिला है। जबकि तालमेल बैठाने के चक्कर का खामियाजा पवन खेड़ा जैसे नेताओं को उठाना पड़ा है।

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उदयपुर चिंतन शिविर में सोनिया गांधी ने दी थी ये नसीहत

बीते 13-15 मई को राजस्थान के उदयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर में एकजुट होकर आगे बढ़ने की बात कही गई थी। यही नहीं सोनिया गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस ने हमें सब कुछ दिया है, अब कर्ज चुकाने का समय है। इसके अलावा चिंतन शिविर में शर्तों के साथ यह भी तय हुआ था कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा। लेकिन लगता है कि इन संकल्पों की डोर राज्य सभा चुनाव आते-आते कमजोर होने लगी है।

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