Ayodhya: सर्वधर्म सम्‍भाव का भाव जगाती है प्रभु राम की नगरी अयोध्‍या

देश
कुलदीप राघव
Updated Aug 04, 2020 | 18:43 IST

जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों का उल्लेख होता है तब उसमें सर्वप्रथम अयोध्या का ही नाम आता है। अयोध्‍या में ना केवल सनातन धर्म बल्कि जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परम्परा तक की जड़ें व्याप्त हैं।

Ayodhya City
Ayodhya City 

Religious Importance of Ayodhya : धर्म नगरी अयोध्या की स्थापना धरती के प्रथम पुरुष मनु ने की थी। युगों पुरानी इस नगरी ने जहां देश-दुनिया को आदर्श राजा और राज्य की राह दिखाई तो वहीं दिलीप, गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथ और सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र जैसे यशस्वी शासकों से भी विभूषित रही। जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों का उल्लेख होता है तब उसमें सर्वप्रथम अयोध्या का ही नाम आता है- "अयोध्या मथुरा माया काशि काँची ह्य्वान्तिका, पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका"

जैन परंपरा के 24 तीर्थंकरों में से सर्वप्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभदेव जी) के साथ चार अन्य तीर्थंकरों का जन्मस्थान भी अयोध्या ही है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था। अयोध्या का स्वभाव सर्वसमावेशी रहा है। सनातन संस्कृति के साथ- साथ यहां जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परम्परा तक की जड़ें व्याप्त हैं। अयोध्या कला, पुराण, जैन, गीत-संगीत सभी का केंद्र रहा है।

अयोध्या में सिख धर्म से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। प्रथम, नवम व दशम सिख गुरु समय-समय पर अयोध्या आए और नगरी के प्रति आस्था निवेदित की। गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड एवं गुरुद्वारा गोविंद धाम के रूप में सिख परम्परा की विरासत अभी भी जीवन्त है। इस्लाम की परंपरा में अयोध्या को मदीनतुल अजोधिया के रूप में भी संबोधित किए जाने का जिक्र मिलता है। यहां शीश पैगंबर की मजार, स्वर्गद्वार स्थित सैय्यद इब्राहिम शाह की मजार, शास्त्री नगर स्थित नौगजी पीर की मजार इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा है।

अयोध्या में जितना महत्व राम मंदिर है उतना ही हनुमान गढ़ी का भी है। लंका विजय के बाद जब प्रभु श्री राम अयोध्या वापस लौटे थे तो उन्होंने हनुमानजी को इसी स्थान पर रहने की आज्ञा दी थी। इस मंदिर में 76 सीढ़ियों के चढ़ने के बाद हनुमानजी के दर्शन होते हैं। अयोध्या में एक ऐसा स्थान भी है जहां की अनोखी वास्तुकला सभी को मन मोह लेती है। इसे कनक भवन के नाम से जाना जाता है। जब माता सीता प्रभु राम से विवाह करने के बाद अयोध्या आयी थीं तब उन्हें यह भवन माता केकई ने उपहार में दिया था।

अयोध्या में राजा दशरथ महल भी है जहां प्रभु श्री राम का बचपन बीता था। इसी भवन में प्रभु राम अपने भाइयों संग खेला करते थे। इस महल का परिसर काफी बड़ा है। जहां पर हजारों लोग एकत्र होकर भजन-कीर्तन करते हैं। अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में भव्य रंग महल मन्दिर को माता सीता को कौशल्या मां ने मुंह दिखाई में दिया था। विवाहोपरांत प्रभु श्री राम कुछ महीने इसी स्थान पर रहे और यहां होली खेली थी। तभी से इस स्थान का नाम रंगमहल हुआ। अयोध्या में राम जन्मभूमि के समतलीकरण के दौरान भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अलावा 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 6 रेड सैंडस्टोन के स्तम्भ सहित 5 फ़ीट का एक शिवलिंग भी मिला है।

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