अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाया है। यह विवाद कई सालों से चला रहा है। 491 साल पहले 1528 में इस विवाद की नींव रखी गई थी, जब यहां मुगल शासक बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। हिंदुओं की तरफ से कहा गया कि मस्जिद उस स्थल पर बनाई गई, जहां भगवान राम का जन्म हुआ। हिंदू-मुस्लिमों के बीच तनाव के कारणों में से ये एक है। इसे लेकर कई बार दंगे भी हुए। आजादी के बाद भी ये विवाद जारी रहा और गहरा गया। 1949 में यहां मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं, जिसे लेकर भी तनाव बढ़ा। फिर 1992 हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिससे देशभर में दंगे भड़क उठे, जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
राम मंदिर बनाने के अभियान में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार प्रमुख रूप से शामिल थे। इन्हीं के साथ विश्व हिंदू परिषद भी इस अभियान का हिस्सा था। विहिप के महामंत्री अशोक सिंघल भी राम मंदिर निर्माण के लिए दिन रात जुटे रहते थे। आपको बता दें कि 1987 में विवादित स्थल से मस्जिद को दूसरी जगह पहुंचाने का पूरा इंतजाम हो चुका था। तकनीक की मदद से मस्जिद को उठाकर दूसरी जगह रखे जाने की योजना विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री अशोक सिंघल ने बनाई थी।
लेकिन इस संदर्भ में अशोक सिंघल को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख बालासाहेब देवरस से डांट पड़ी तो यह मामला टल गया। इस बात का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह की किताब ‘अयोध्या - रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का सच’ में किया गया है। शीतला सिंह ने किताब में 110 वें पेज पर लिखा है- 27 दिसंबर 1987 के पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर अखबार के अंक में खबर छपी कि रामभक्तों की विजय हो गई। कांग्रेस सरकार मंदिर बनाने के लिए विवश हो गई है। इसके लिए ट्रस्ट बन गया। इसे राम मंदिर आंदोलन की सफलता बताया गया था। इस खबर के साथ अशोक सिंघल की फोटो भी झपी।
केएम शुगर मिल्स के मालिक और प्रबंध संचालक लक्ष्मीकांत झुनझुनवाला उन दिनों विहिप के वरिष्ठ नेता विष्णुहरि डालमिया के लिए कुछ कागजात लेने शीतला सिंह के पास आए थे। वह कागजात दिल्ली गए और जब वह दिल्ली से वापस आए तो देवरस और सिंघल की घटना का जिक्र किया। झुनझुनवाला ने शीतला सिंह को बताया कि आरएसएस के झंडेवालान स्थित मुख्यालय केशव सदन में एक बैठक में बाला साहब देवरस ने अशोक सिंघल को डांट लगाई।
किताब में उनके हवाले से लिखा है- बाला साहेब ने अशोक सिंघल को तलब कर पूछा कि तुम इतने पुराने स्वयंसेवक हो, तुमने इस योजना का समर्थन कैसे कर दिया? सिंघल ने कहा कि हमारा आंदोलन तो राम मंदिर के लिए ही था, यदि वह स्वीकार होता है तो स्वागत करना ही चाहिए। इस पर देवरस बिफर गए और कहा कि तुम्हारी अक्ल घास चरने चली गई है। इस देश में 800 राम मंदिर विद्यमान हैं, एक और बन जाए तो 801वां होगा। लेकिन अगर यह आंदोलन जनता के बीच लोकप्रिय हो रहा था। उसका समर्थन हो रहा था, जिसके बल पर हम राजनीति क रूप से दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति तक पहुंचते। तुमने इसका स्वागत करके वास्तव में आंदोलन की पीठ में छुरा घोंपा है।
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