Rashtravad: शहीदों का बलिदान और सियासी घमासान! अमर जवान ज्योति के विलय से विपक्ष क्यों परेशान ?

इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय कर दिया गया। एक संक्षिप्त समारोह में अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा लिया गया और उसे इंडिया गेट से 400 मीटर दूर स्थित एनडब्ल्यूएम में जल रही लौ के साथ मिला दिया गया।

Rashtravad Why is the opposition upset over the merger of Amar Jawan Jyoti?
Rashtravad: अमर जवान ज्योति के विलय से विपक्ष क्यों परेशान ? 
मुख्य बातें
  • अमर ज्योति' के विलय पर हंगामा क्यों? शहीदों के सम्मान में कैसी राजनीति?
  • मोदी ने वॉर मेमोरियल बनाया, पिछली सरकारों ने क्या किया ?
  • अमर जवान ज्योति के विलय का फैसला सही या गलत, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नई दिल्ली: इस देश के सियासतदां अब देश के सैनिकों की शहादत पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते। और आज एक ऐसी ही राजनीति अमर जवान ज्योति को लेकर हुई। इंडिया गेट के पास 1972 से जलती आ रही अमर जवान ज्योति को वहां से कुछ ही दूरी पर बने नेशनल वॉर मेमोरियल की अखंड ज्योति के साथ विलय कर दिया। अमर जवान ज्योति को वॉर मेमोरियल की अखंड ज्योति के साथ विलय करने का प्रक्रिया में सैन्य परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया था।

किया गया है विलय

 सम्मान के साथ अमर जवान ज्योति की मशाल वॉर मेमोरियल लायी गई। और उस ज्योति की अखंडता बरकरार रखते हुए वॉर मेमोरियल की अखंड ज्योति के साथ उसका विलय किया गया। लेकिन सरकार का ये फैसला नेताओं को राजनीति का मौका दे गया है। सरकार कह रही है कि अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं गया लेकिन विपक्ष का जोर इसी बात पर है कि सरकार ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीदों की याद में जलायी गई ज्योति को बुझा दिया। और शहीदों का अपमान किया। वैसे तस्वीरें साफ दिखा रही हैं कि अमर जवान ज्योति बुझायी नहीं गई है। लेकिन नेता हैं, नेताओं को राजनीति का बहाना चाहिए। इसीलिए राष्ट्रवाद में ये मुद्दा उठाएंगे कि क्या अमर जवान ज्योति को लेकर राजनीति करना सही है?

क्या सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाने की कोशिश कर रही है, जैसा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है? या फिर, ये राष्ट्र के उन सभी सैनिकों का सम्मान है जिन्होंने देश की आन-बान-शान के लिए अपने प्राण न्योछावर किए ? क्योंकि नेशनल वॉर मेमोरियल आजाद हिंदुस्तान में हर एक युद्ध के शहीद सैनिकों की अमर धरोहर है। इसलिए राष्ट्रवाद की बहस है, कि नेशनल वॉर मेमोरियल की अखंड ज्योति में विलय करने से अमर जवान ज्योति का अपमान हुआ या सम्मान? आज की बहस इसी मुद्दे पर।

सरकार का बड़ा फैसला, इंडिया गेट पर लगेगी नेताजी की मूर्ति, पीएम मोदी ने ट्वीट की तस्वीर

25 हजार शहीदों के नाम

सरकार का तर्क है कि नेशनल वॉर मेमोरियल आजाद हिंदुस्तान के सभी शहीद सैनिकों को याद करने का स्मारक है। यहां पर तकरीबन 25 हजार शहीदों के नाम है। यहां अखंड ज्योति जलती है, और ये जगह इंडिया गेट से कुछ ही दूरी पर है। 2 जगहों पर अखंड ज्योति का रखरखाव मुश्किल होता है। सरकार जो ये बात कह रही है कि, इसमें दम भी है कि जब वॉर मेमोरियल पर भारत के सभी सैनिकों का स्मारक है तब पास-पास 2-2 मशाल क्यों होनी चाहिए?

खूब हुई राजनीति

दरअसल नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने को लेकर देश में खूब राजनीति हुई है। 7 दशकों तक भारत के शहीद सैनिकों को समग्र तौर पर याद करता कोई स्मारक नहीं बन सका था। लेकिन मोदी सरकार ने वॉर मेमोरियल प्रोजेक्ट को बड़ी शिद्दत से बनवाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को इस वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहां हम आपको अमर जवान ज्योति जिस इंडिया गेट के सामने जलती थी, उस इंडिया गेट का इतिहास भी बता देते हैं।

अंग्रेजों ने कराया था निर्माण

इंडिया गेट भारतीय सैनिकों के शौर्य का प्रतीक है। और राजपथ पर स्थित है। लेकिन इसका colonial past है। अंग्रेजों ने 1921 में इसका निर्माण कराया था। इससे पहले विश्वयुद्ध में शहीद हुए 84 हजार भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई थी। इंडिया गेट भारत की एक पहचान तो है, लेकिन मोदी सरकार युद्ध के शहीदों और आजादी के राष्ट्रनायकों के सम्मान को नए प्रतीकों के साथ जोड़ने को अपनी उपलब्धि बताती है। आज इसी उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियासी बाण छोड़ने से भी परहेज नहीं किया।

Amar jawan Jyoti: अमर जवान ज्योति के विलय पर विवाद, ठंड में चढ़ा सियासी पारा, बयानों की लगी झड़ी


 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर