Padma Award: रियल हीरो को मिल रहे हैं पद्म पुरस्कार, जानें मोदी सरकार ने कैसे बदला सिस्टम

Padma Awards 2022: पद्म पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया बदलने से देसश के सामने एक ऐसे नायक उभर कर सामने आ रहे हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ भाव से सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है।

Tulsi Gowda
2021 में पद्य श्री लेने के बाद तुलसी गौड़ा  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • पद्यम पुरस्कारों के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है।
  • कोई भी व्यक्ति और संस्था पुरस्कारों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • ऑनलाइन आवेदन की वजह से एक साल में 30-40 हजार तक आवेदन आ रहे हैं।

नई दिल्ली: एक तरफ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और वामपंथी नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म पुरस्कार दिए जाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी नाम है, जो लाइमलाइट से दूर रहकर अपने क्षेत्र में ऐसे काम कर रहे हैं, जिनकी मिसाल मिलना मुश्किल है। इस लिस्ट में डॉ. हिम्मतराव बावस्कर, बसंती देवी , शकुंतला बाइदेव ,शंकरनारायण मेनन ,एस दामोदरन , शिवानंद बाबा जैसे नाम हैं जो गुमनाम है लेकिन हकीकत में रियल हीरो है।

पिछले 4 सालों में कई रियल हीरो को मिले पद्म पुरस्कार

इसी तरह तुलसी गौड़ा, हरेकाला हजब्बा,मोहम्मद शरीफ,राहीबाई सोमा पोपेरे,हिम्मताराम भांभू जी, डॉक्टर दादी,मीनाक्षी अम्मा जैसे कई नाम है, जिन्हें इन वर्षों में पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया है। असल में पद्म पुरस्कार के चयन की बदली परंपरा से ऐसे रियल हीरो देश के सामने आ रहे हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ सेवा से दुनिया के सामने नई मिसाल पेस की है।

रियल हीरो कैसे बने मिसाल

बसंती देवी- पद्मश्री-बंसती देवी उत्‍तराखंड में  कोसी नदी को बचाने के लिए पेड़ों को नहीं काटने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही हैं।

शंकरनारायण मेनन-पद्म श्री-  'कलारी' नाम की प्राचीन मार्शल आर्ट्स को देश में जिंदा रखा है। 93 साल की उम्र में भी वे 'उन्‍नी गुरुकल' नाम से ट्रेनिंग सेंटर चला रहे हैं।

डॉ. हिम्मतराव बावस्कर - पद्मश्री- महाराष्‍ट्र में प्रैक्टिस करते हुए बिच्‍छू और सांप के जहर का इलाज पर शोध किया और पूरी दुनिया ने उसका लोहा माना।

 शिवानंद बाबा - 125 साल के शिवानंद बाबा को पद्म श्री मिला है। वह योग साधना से निरोग हैं और पूरी तरह फिट हैं।

मोहम्मद शरीफ- पद्म श्री (2021) - शरीफ चाचा के नाम से मशहूर 83 साल के साइकिल मैकेनिक मोहम्मद शरीफ  ने 25 हजार से भी ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है।

तुलसी गौड़ा- पद्म श्री (2021)- 72 साल की आदिवासी तुलसी गौड़ा को पौधों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान के चलते उन्हें इन्साइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट कहा जाता है।

इस लिस्ट में पिछले 4 साल में ऐसे कई नाम जुड़े हैं, जो अभी तक बहुत से लोगों के लिए अनजान थे।

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चयन प्रक्रिया में बदलाव से खुला रास्ता

पिछले 4 साल में ऐसे कई गुमनाम चेहरों को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार से नवाजा गया है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अब पुरस्कारों के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है। इसके लिए https://www.padmaawards.gov.in/ पर जाकर आवदेन किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने यह प्रक्रिया 2017 से शुरू की है। 

ऑनलाइन आवेदन का फायदा यह हुआ है कि अब लोग और संस्थाएं अपने आस-पास के रियल हीरो के लिए आवेदन साथ ही ऐसे लोग खुद भी अपने लिए आवेदन कर सकते हैं।  इसकी वजह से एक साल में  40-50 हजार तक आवेदन आ रहे हैं। हर साल सरकार इसके लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करती है। इस बार आवेदन की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2021 थी। आवेदन आने के बाद  उच्च स्तरीय समिति आवेदन का निरीक्षण करती है। और उसके बाद अपनी सिफारिशें, अप्रूवलल के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजते हैं। समिति में कैबिनेट सेक्रेटरी अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा गृह सचिव, राष्ट्रपति के सचिव और इनके अलावा 4 से छह सदस्य होते हैं। जिनका चयन हर साल प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। पद्म पुरस्कारों की शुरूआत 1954 में शुरू की गई थी।


 

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