हिंदी साहित्य के लिए दुख का दिन, प्रख्यात लेखक गंगा प्रसाद विमल की सड़क हादसे में मौत

देश
रामानुज सिंह
Updated Dec 26, 2019 | 12:45 IST

हिंदी साहित्य के लिए बेहद दुख का दिन है क्योंकि प्रख्यात हिंदी लेखक गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी।

हिंदी साहित्य के प्रख्यात लेखक गंगा प्रसाद विमल की सड़क हादसे में मौत
हिंदी साहित्य के प्रख्यात लेखक गंगा प्रसाद विमल की सड़क हादसे में मौत  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • प्रख्यात हिंदी लेखक गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में एक सड़क दुर्घटना में मौत
  • मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया
  • 1939 में उत्तरकाशी में जन्मे विमल ने एक दर्जन से अधिक कविता संग्रह, लघु कहानी संग्रह और उपन्यास लिखे

नई दिल्ली : प्रख्यात हिंदी लेखक गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनकी बेटी, पोती और एक स्थानीय ड्राइवर भी दुर्घटना में मारे गए। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विमल की मृत्यु साहित्य की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है और मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। 1939 में उत्तरकाशी में जन्मे विमल ने एक दर्जन से अधिक कविता संग्रह, लघु कहानी संग्रह और उपन्यास लिखे।

पुलिस ने कहा कि 80 वर्षीय लेखक अपने परिवार के साथ एक वैन में यात्रा कर रहे थे, जो सोमवार रात कुरुदुगहाथम्मा इलाके में दक्षिणी एक्सप्रेसवे पर पीछे से एक कंटेनर ट्रक टक्कर मार दी।

निशंक ने ट्वीट कर कहा कि मुझे अभी हाल ही में एक खबर ने परेशान कर दिया। विख्यात साहित्यकार, कवि और मेरे मित्र गंगा प्रसाद विमल जी की श्रीलंका में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई है, उनकी बेटी और पोती की भी इस हादसे में मौत हो गई।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि उनकी मौत न केवल साहित्य की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति भी है। ईश्वर दिव्य आत्माओं को शांति दे। शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदना है।

 उत्तराखंड के एक हिमालयी शहर, उत्तरकाशी में वर्ष 1939 में इनका जन्म हुआ था। विमल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं।

उन्होंने एक दर्जन से अधिक कविता संग्रह, लघु कहानी संग्रह और उपन्यास लिखे। उनका अंतिम उपन्यास, मानुषखोर, 2013 में प्रकाशित हुआ था। उन्हें कई हिंदी साहित्यिक पुरस्कार मिले।
 

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