कांग्रेस और JMM गठबंधन में आ रही दरार? कैश के साथ विधायकों की गिरफ्तारी के बाद कई नेताओं ने लगाया 'अपमान' और 'सर्विलांस' करने का आरोप

Jharkhand: झारखंड कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग हालांकि जेएमएम खेमे से नाराज है, उन्होंने आरोप लगाया कि वह बाद में तीन विधायकों के प्रकरण को सार्वजनिक तमाशा ना बनाकर देश की सबसे पार्टी को अपमानित करने के बजाय बेहतर तरीके से संभाल सकते थे।

Rift in Congress and JMM alliance After the arrest of MLAs with cash many leaders accused of insulting and surveillance
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। (File Photo)  |  तस्वीर साभार: Twitter

Jharkhand: झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम गठबंधन वाली सरकार में शायद सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 5 सितंबर को झारखंड विधानसभा में विश्वास मत के माध्यम से आसानी से अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे। जेएमएम के नेतृत्व वाली इस गठबंधन सरकार, जिसमें कांग्रेस एक प्रमुख सहयोगी के रूप में शामिल है ने विश्वास मत के माध्यम से एकता की भावना व्यक्त की थी। हालांकि जेएमएम और कांग्रेस के बीच संबंध तनावपूर्ण और टूटे हुए हैं।

कांग्रेस और JMM गठबंधन में आ रही दरार? 

मुख्यमंत्री और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन की विधायक के रूप में अयोग्यता ने सत्तारूढ़ गठबंधन को किनारे पर रखा है, वहीं झारखंड कांग्रेस के तीन विधायकों की 30 जुलाई को हावड़ा में 49 लाख रुपए कैश के साथ गिरफ्तारी के बाद से दोनों प्रमुख सहयोगियों के बीच दरार बढ़ गई है। विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, और नमन बिक्सेल कोंगारी को पहले बंगाल पुलिस ने हिरासत में लिया, इसके बाद झारखंड पुलिस ने बेरमो से कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल की शिकायत पर उनके खिलाफ राजद्रोह और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के आरोप में जीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया था। बेरमो से कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने कथित तौर पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के इशारे पर वर्तमान जेएमएम और कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए 10 करोड़ रुपए की पेशकश करने का आरोप लगाया। हालांकि सरमा ने आरोपों को खारिज किया था। 

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मामले में कांग्रेस नेतृत्व ने भी सख्ती दिखाते हुए तुरंत तीन विधायकों को निलंबित कर दिया और अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो को पत्र लिखकर उनकी विधानसभा की सदस्यता अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। हालांकि इस प्रकरण के बाद से जेएमएम और कांग्रेस के बीच जारी तनातनी और तेज हो गई है। हालांकि तीनों विधायक अभी जमानत पर बाहर हैं। 82 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं, जिसमें जेएमएम के 30, कांग्रेस के 18 और आरजेडी का एक विधायक है। विधानसभा में हेमंत सोरेन के शक्ति प्रदर्शन में 48 विधायकों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया, जिसमें कांग्रेस के तीन विधायकों की अनुपस्थिति में भाकपा (माले) एल और एनसीपी के एक-एक विधायक शामिल थे।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि विश्वास मत के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ये संदेश देना चाहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन को उनके पीछे खड़े होने में कोई "झिझक" नहीं है। सोरेन एक संभावित भविष्य के परिदृश्य के लिए भी आधार रख रहे थे। सोरेन ने कहा कि अगर किसी विधायक ने पाला बदला तो ये बीजेपी की ओर स बनाया गया संकट या कुछ कांग्रेस विधायक होंगे। ठीक एक दिन पहले जेएमएम और कांग्रेस के लगभग 31-32 विधायक रायपुर से लौटे थे।

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झारखंड कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग जेएमएम से नाराज

झारखंड कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग हालांकि जेएमएम खेमे से नाराज है, उन्होंने आरोप लगाया कि वह बाद में तीन विधायकों के प्रकरण को सार्वजनिक तमाशा ना बनाकर देश की सबसे पार्टी को अपमानित करने के बजाय बेहतर तरीके से संभाल सकते थे। कांग्रेस के कुछ विधायकों ने तो यहां तक ​​आरोप लगाया है कि सोरेन सरकार ने शायद उनकी पार्टी को 'वश में' करने के लिए उन्हें सर्विलांस में डाल दिया। 

एक कांग्रेस विधायक जो अपना नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे, उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन हमारी निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि विश्वास की कमी है। ये स्पष्ट था कि केवल कांग्रेस के मंत्रियों को छत्तीसगढ़ भेजा गया था, जबकि जेएमएम के मंत्री रांची में रुके थे। झारखंड सरकार से एक गुप्त सूचना के बाद हावड़ा में पार्टी के तीन सहयोगियों की हिरासत और बाद में गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए विधायक ने कहा कि भले ही तीन विधायक बंगाल में थे, उन्हें आसानी से रांची वापस बुलाया जा सकता था। मामले को अन्य विधायकों को अपमानित करने के बजाय आंतरिक रूप से तय किया जा सकता था। साथ ही कहा कि कांग्रेस को कमजोर किया जा रहा है।

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