नीतीश का बार-बार इंकार और पार्टी की हर बार हां, जानें क्या चल रहा है खेला

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Sep 21, 2022 | 20:30 IST

Nitish Kumar and JD (U) Strategy: यूपी से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की अटकलों को हवा ,उनकी ही पार्टी के नेता जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दी थी।

nitish kumar and opposition politics
क्यों बार-बार मना कर रहे हैं नीतीश  
मुख्य बातें
  • नीतीश कुमार, सरकार बनने पर पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने का दांव चल चुके हैं।
  • विपक्षी दल में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल से लेकर के.चंद्रशेखर राव तक प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं।
  • नीतीश कुमार जैसे कद के नेता की पार्टी उनकी इच्छा के खिलाफ ऐसे बयान नहीं दे सकती है।

Nitish Kumar and JD (U) Strategy: नीतीश कुमार ने एक बार फिर इंकार किया है। उन्होंने उन कयासों पर पर विराम लगाते हुए कहा है कि वह उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। असल में जब से नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ राजद के साथ सरकार बनाई है, उसी समय से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं, कि उनकी नजर पीएम पद पर है। लेकिन मीडिया से बात करते हुए वह हर बार यही कहते हैं कि उनकी केवल विपक्ष एकजुट करने की कोशिश है, इसके अलावा वह किसी पद के उम्मीदवार नहीं है। लेकिन उनकी बातों के उलट उनकी ही पार्टी के नेता, उन्हें पीएम मेटेरियल से लेकर यूपी से चुनाव लड़ने की हवा देते हैं।  एक बात तो तय है कि नीतीश कुमार जैसे कद के नेता की पार्टी, उनकी इच्छा के खिलाफ ऐसे बयान नहीं दे सकती है। साफ है कि चाहे नीतीश कुमार हों या उनकी पार्टी जद (यू), वह एक अलग तरह की रणनीति पर काम कर रहे हैं। 

यूपी से चुनाव की क्यों हुई अटकलें

यूपी से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की अटकलों को हवा ,उनकी ही पार्टी के नेता जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दी थी। उन्होंने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि नीतीश कुमार 2024 में कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर अभी से कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश बिहार का पड़ोसी राज्य है और यूपी के लोगों ने भी बिहार में नीतीश के काम को महसूस किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जद (यू) की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में यह मुद्दा उठा था।  कुछ लोगों  की इच्छा है कि वो मिर्ज़ापुर से, तो कुछ चाहते हैं कि नीतीश आंबेडकर नगर से चुनाव लड़ें। लेकिन  समय से पहले कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।

इसी तरह बिहार से लेकर दिल्ली तक नीतीश कुमार एक ही बात दोहरा रहे हैं कि वह पीएम पद के उम्मीदवार नहीं है। लेकिन पार्टी की सारी कवायद इसी दिशा में दिख रही है। पटना में उनकी पार्टी जद (यू) के होर्डिंग में भी यही बात कही जा रही है। पार्टी के पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लगे पोस्टर में लिखा है कि 'प्रदेश में दिखा अब देश में दिखेगा'। जाहिर है नीतीश कुमार चाहे पीएम पद के सवाल पर प्रेस कांफ्रेंस में कुर्सी छोड़, उठ कर चले जाए लेकिन इरादा तो यही है। वह विपक्ष के सभी नेताओं से मिल रहे हैं। जिसमें राहुल गांधी , अरविंद केजरीवाल से लेकर शरद पवार तक शामिल है। और वह यह भी कह चुके हैं कि वह मेन फ्रंट बनाना चाहते हैं।

नीतीश कुमार का बड़ा बयान, मुझे खुद के लिए कुछ नहीं चाहिए, मेरी रूचि विपक्षी दलों को एकजुट करना है

फिर क्या है रणनीति

असल में अगर नीतीश कुमार के उस बयान को देखा जाय, जिसमें वह यह दावा कर रहे हैं कि  अगर केंद्र में विपक्षी दलों की सरकार बनती है तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। नीतीश कुमार का यह ऐलान निश्चित तौर पर एक सोचा समझा राजनीतिक दांव है। इसके जरिए न केवल वह खुद को विपक्ष के नेता के रूप में पेश कर रहे हैं। बल्कि कई दलों को अपने पाले में लाने की कोशिश भी कर रहे हैं।

असल में इस समय विपक्ष में ममता बनर्जी, केसीआर, अरविंद केजरीवाल पीएम पद की उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार खुद अपना नाम आगे कर विपक्षी एकता की कोशिशों को बेकार नहीं होने देना चाहते हैं। क्योंकि अगर वह भी खुल के अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे, तो उनके लिए दूसरे दलों को अपने साथ लाना मुश्किल होगा।

लेकिन उनकी पार्टी उन्हें पीएम मैटेरियल बताकर, उनका दावा भी मजबूत करना चाहती है। जिससे उनके लिए खास तौर से उत्तर भारत में हवा बन सके। यूपी से चुनाव लड़ने की हवा भी उसी रणनीति का नतीजा लगती है। क्योंकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2014 में यूपी से चुनाव लड़कर पीएम की कुर्सी तक पहुंचे चुके हैं। ऐसे में नीतीश कुमार अपनी रणनीति का खुलासा फिलहाल नहीं करने वाले हैं। वह हवा का रूख देखकर ही अपनी दावेदारी पेश करेंगे

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