नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने बड़ा बयान दिया है। खुर्शीद ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह 'बड़ा' सोचने की जरूरत है। कांग्रेस नेता ने यह मानने से इंकार किया है कि पार्टी मौजूदा दौर में काफी कमजोर और छोटी हो गई है और वह अब अपना खोया हुआ राजनीतिक जनाधार हासिल नहीं कर सकती। सोमवार को समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि भाजपा ने उन राज्यों जहां वह अस्तित्व में नहीं थी, वहां के लिए उसने बड़ा सोच और बड़ी राजनीति अपनाई। उन्होंने उन राज्यों में जहां उनका अस्तित्व नहीं है वहां उन्होंने कोशिश की।'
कांग्रेस को 'निराशावादी सोच' रखने की जरूरत नहीं
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को 'निराशावादी सोच' रखने की जरूरत नहीं है। पार्टी को यह नहीं सोचना चाहिए उसने अपनी ज्यादातर राजनीतिक जमीन खो दी है और वह उसे दोबारा हासिल नहीं कर सकती। खुर्शीद ने कहा, 'मेरा मानना है कि दृढ़इच्छाशक्ति एवं विश्वास के साथ हम इसे दोबारा हासिल कर सकते हैं और ऐसा ही हमें करना चाहिए।' कांग्रेस के नेता ने माना कि पश्चिम बंगाल में इस बार 'चतुराई' से वोटिंग हुई जहां से कांग्रेस और लेफ्ट को 'सफाया' हो गया।
बंगाल में हुई 'टैक्टिल वोटिंग'
खुर्शीद ने कहा, 'यह सही है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि बंगाल में जिस तरह से चतुराई से वोटिंग हुई उस तरह की वोटिंग असम में नहीं हुई। जाहिर है कि दोनों राज्यों में इस तरह का मतदान हुआ। भविष्य में इस तरह की वोटिंग से आपको सावधान रहना होगा। इसके बारे में हमें सोचना होगा।' इस सवाल पर कि पार्टी के कुछ नेताओं ने बंगाल और असम में हार के लिए आईएसएफ और एआईयूडीएफ के साथ बने राजनीतिक गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया, इस पर खुर्शीद ने कहा कि जब आप सफल नहीं होते हैं तो इस तरह की सफाई दी जाती है और जब आप सफल होते हैं तो अलग तरह की बात की जाती है।
बंगाल में एक भी सीट नहीं जीत पाई कांग्रेस
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में खुर्शीद ने कहा कि चुनाव के लिए पार्टी लोगों की जरूरतों से जुड़ा हुआ घोषणापत्र तैयार करेगी। बता दें कि पश्चिम बंगाल चुनाव के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। 294 सीटों वाली विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटें दर्ज कीं। यही नहीं, कांग्रेस केरल और असम में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। हालांकि, तमिलनाडु में वह डीएमके के साथ सत्ता तक पहुंची है।
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