Sariska Tiger Reserve Fire: सरिस्का की आग कब बुझेगी, टाइगर रिजर्व के बारे में पूरी जानकारी

सरिस्का टाइगर रिजर्व में लगी आग को बुझाने के लिए अब वायुसेना की मदद ली जा रही है। करीब 20 किमी में फैली आग के बारे में राजस्थान सरकार का कहना है कि उम्मीद है कि बुधवार देर शाम तक आग पर काबू पा लिया जाएगा।

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Sariska Tiger Reserve Fire: सरिस्का की आग कब बुझेगी, टाइगर रिजर्व के बारे में पूरी जानकारी 
मुख्य बातें
  • करीब 881 वर्ग किमी में फैला हुआ है सरिस्का टाइगर रिजर्व
  • करीब 20 किमी इलाके में आग
  • आग बुझाने में वायुसेना की मदद ली जा रही है

राजस्था के सरिस्का टाइगर रिजर्व में आग लगी हुई है। करीब 20 किमी में फैले आग पर काबू पाने के लिए प्रशासनिक मशीनरी के साथ स्थानीय लोग भी जुट गए हैं। इस समय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों को आग बुझाने के अभियान में लगाया गया है। राजस्थान सरकार का कहना है कि बुधवार शाम तक आग पर काबू पा लिया जाएगा। आग की लपटों के बीच टी-17 और उसके दो शावक घिरे हुए हैें जिनकी तलाश की जा रही है। इन सबके बीच हम सरिस्का टाइगर रिजर्व के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। आग किस वजह से लगी है उसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन बताया जा रहा है कि मानवीय गलती की वजह से आग लगी होगी। राज्य सरकार का कहना है कि अभी पहली प्राथमिकता आग को जल्द से जल्द बुझाने की है। 

एक नजर में सरिस्का टाइगर रिजर्व

  1. राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व है
  2. 881 वर्ग किमी में फैला है यह रिजर्व
  3. शुष्क वन, पत्थरों वाले पहाड़, घास के मैदान वाला है यह टाइगर रिजर्व
  4. 1958 में वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी घोषित किया गया
  5. अलवर स्टेट से लोग यहां पर शिकार किया करते थे। 
  6. 70 सेमी के करीब औसत बारिश होती है। 
  7. भारतीय तेंदुआ, जंगली बिल्ली, काराकल, धारीदार लकड़बग्घा, सुनहरा सियार, चीतल, सांभर हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर, छोटा भारतीय सिवेट बसेरा

सरिस्का में बाघों को लाने की कवायद
2005 में, राजस्थान सरकार ने, भारत सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से, सरिस्का में बाघों को फिर से लाने और गांवों के पुनर्वास की योजना बनाई थी। बाईपास के निर्माण की योजना पर भी चर्चा की गई थी। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से एक नर और दो मादाओं को लाने के फैसले के बाद यह निर्णय लिया गया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राजस्थान सरकार के साथ मिलकर इसरो के टोही उपग्रहों की मदद से बाघों को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। नर बाघ का पहला हवाई स्थानान्तरण रणथंभौर से सरिस्का तक 28 जून 2008 को हेलीकॉप्टर द्वारा किया गया था।

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चार गांवों के विशेषज्ञों में से केवल दो को ही वास्तव में स्थानांतरित कर दिया गया था, हालांकि दूसरे, कांकवारी, बाघों को फिर से पेश किए जाने के लंबे समय बाद स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, राज्य पर्यटन विभाग द्वारा कांकवारी किले का जीर्णोद्धार किया गया है, जो संभवतः वन्यजीव संरक्षण मानदंडों का उल्लंघन कर सकता है। पहला स्थानांतरित गांव भगानी था। इसके अलावा, रिजर्व को पार करने वाली सड़कों का डायवर्जन, एक समस्या जो इसके वन्यजीवों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है जोकि आज भी एक समस्या बनी हुई है

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