स्कूल में हिजाब जरूरी या यूनिफॉर्म? हिजाब के जवाब में भगवा क्यों?

कर्नाटक में हिजाब का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले को धीरे-धीरे राजनीतिक रंग भी देने की कोशिश की जा रही है और यूपी चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है। तो अब सवाल ये है कि हिजाब से चुकाएंगे सियासी हिसाब?

Hijab Controversy
कर्नाटक हिजाब विवाद 

आप दर्शकों में से तमाम लोग होंगे जिनके बच्चे स्कूलों में पढ़ते होंगे। लेकिन क्या जब आपका बच्चा स्कूल जाता है तो यूनिफॉर्म नहीं पहनता? और क्या मुस्लिम लड़कियों के लिए हिजाब पहनना इतना जरूरी है कि स्कूल यूनिफॉर्म पहनने के नियम नहीं माने जाएंगे? कर्नाटक के उडुपी के एक स्कूल से उठा हिजाब विवाद न सिर्फ राज्य के दूसरे जिलों में फैल चुका है, बल्कि अब इस पर राष्ट्रीय बहस हो रही है। शिमोगा के एक स्कूल में आज हिजाब पहने लड़कियों का सामना भगवा पहने छात्र-छात्राओं से हुआ, ये सब जिस तरह से हुआ, वो शर्मनाक है। हालत ये हुई कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दोनों ओर से आर-पार की नौबत आई और दोनों ओर से धार्मिक नारे लगाए गए। इसी प्रदर्शन के दौरान स्कूल में भगवा ध्वज फहराने की घटना भी हुई।

स्कूल में हिजाब पहनने के विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। लेकिन कोर्ट के फैसले के पहले जैसा प्रदर्शन हो रहा है, उसके बाद पब्लिक का सवाल है कि क्या हिजाब के नाम पर राजनीतिक हंगामा मच रहा है? क्या हिजाब राजनीतिक हंगामा करने का नया टूलकिट है? 

कर्नाटक के शिमोगा में हिजाब विवाद में आज हुए हंगामे का जो वीडियो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो वीडियो है एक हिजाब पहने लड़की और भगवा पहने लड़कों के बीच हुई नोंक-झोंक का। अधिकतर जगहों पर आपने वीडियो का सिर्फ ये हिस्सा देखा होगा कि हिजाब पहनी लड़की को भगवा पहने लड़कों ने उकसाया। लेकिन इस वीडियो का पूरा सीक्वेंस समझिए। लड़की अपनी स्कूटी से आती है, और स्कूटी पार्क करती है। फिर लड़की उधर आती है, जिधर भगवा पहने लड़के प्रदर्शन कर रहे हैं। दोनों पक्षों की ओर से धार्मिक नारेबाजी सुनायी पड़ती है। हिजाब के जवाब में भगवा है, और इसे लेकर स्कूलों के कैंपस से राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया गया है। 

हिजाब पहनने को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार बताकर कर्नाटक हाई कोर्ट में 5 मुस्लिम लड़कियों की ओर से याचिका दायर की गई है। हाई कोर्ट ने आज दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कल तक के लिए सुनवाई टाली है। फैसला सुनाने से पहले मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा है कि लोगों को संविधान पर भरोसा रखना होगा। केवल कुछ शरारती लोग हंगामा करते रहेंगे। लेकिन प्रदर्शन करना, नारेबाजी करना, छात्रों पर हमले करना, छात्रों का एकदूसरे पर हमला करना, ये सब सही नहीं। हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि भावनाओं के आधार पर नहीं, संविधान के मुताबिक मामले को देखा जा रहा है।

उधर, कोर्ट में याचिका दायर करने वाली लड़कियों के वकील ने दलील दी है कि स्कूल में लड़कियों का हेडस्कॉर्फ पहनना पब्लिक ऑर्डर का मुद्दा कैसे है? साथ ही उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का हिस्सा है। राज्य सरकार के वकील की ओर से कोर्ट में कहा गया कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर पाबंदियां लगायी जा सकती हैं। 5 फरवरी को ही कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक एजुकेशन एक्ट 1983 की धारा 133(2) को लागू किया है।  आदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी स्कूलों में तय ड्रेस कोड का पालन करना होगा। निजी स्कूलों के स्टूडेंट्स को भी तय यूनिफॉर्म ही पहनकर आना होगा।

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कर्नाटक हिजाब विवाद का मामला कोर्ट में है, तो होना तो ये चाहिए था कि अदालत के आदेश का इंतजार किया जाता। लेकिन नेताओं की ओर से इस पर राजनीतिक रंग चढ़ाया गया। 5 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि उन्होंने लिखा था कि छात्राओं की शिक्षा के बीच में हिजाब लाना, भारत की बेटियों के भविष्य पर डाका डालना है। मां सरस्वती सभी को ज्ञान दें, वो भेदभाव नहीं करती हैं। सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी इस हंगामे पर बयानबाजी कर रहे हैं।

सवाल पब्लिक का में सवाल हैं 

  1. स्कूल में हिजाब जरूरी या यूनिफॉर्म?
  2. हिजाब के जवाब में भगवा क्यों? 
  3. हिजाब राजनीतिक हंगामे का नया 'टूलकिट'?
  4. स्कूलों के कैंपस तक ये राजनीति खतरनाक?

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