राशन खरीद केस में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सभी आरोपों से बरी, SC का आदेश-बहाल करें पेंशन, अन्य लाभ

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एसके साहनी को राशन खरीद सहित उन पर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया। सेना के अधिकारी पर राशन खरीद प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के आरोप लगे थे।

SC sets aside AFT order, acquits retired Lt General in ration procurement case
राशन खरीद केस में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सभी आरोपों से बरी। 
मुख्य बातें
  • लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एसके साहनी सभी सात आरोपों से बरी
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, अब पेंशन, अन्य सुविधाएं मिलेंगी
  • शीर्ष अदालत ने साहनी के खिलाफ पेश साक्ष्यों को अपर्याप्त माना

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एसके साहनी को राशन खरीद सहित उन पर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया। सेना के इस अधिकारी पर राशन खरीद प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के आरोप लगे थे। साथ ही कोर्ट ने तीन महीने के भीतर सेना के इस पूर्व अधिकारी को सभी पेंशन एवं लाभ नियम के अनुरूप देने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि सभी बकाया राशि (एरियर) भी सेना के पूर्व अधिकारी को मिलनी चाहिए। अदालत ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को खारिज कर दिया है। 

एससी ने एएफटी का आदेश खारिज किया
साहनी को जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) में दोषी ठहराया गया था। जस्टिस एल नागेश्वर राव एवं जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने एएफटी के आदेश को खारिज कर दिया। एएफटी ने साहनी को सेवा से बर्खास्त किया था। साथ ही उन्हें तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। एएफटी ने कहा था कि तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सेवा से बर्खास्तगी का आधार बनती है। शीर्ष अदालत ने फरवरी 2011 में जीसीएम द्वारा पारित आदेश को भी खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एएफटी के जांच नतीजे उसके सामने पेश साक्ष्यों से 'बिल्कुल विपरीत हैं।'

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साहनी पर लगे थे सात आरोप
पीठ ने कहा, 'साक्ष्यों को देखने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि एएफटी और जीसीएम दोनों की ओर से पारित आदेश कोर्ट में ठहर नहीं सकते। आरोपी को उस पर लगे सभी आरोपों से बरी किया जाता है। याचिकाकर्ता पेंशन एवं उससे जुड़े सभी लाभ पाने का हकदार है। हमारे फैसले के तीन महीने के भीतर बकाया सभी तरह की राशि याची को की जानी चाहिए।'साहनी दिसंबर 1967 में सेना में अधिकारी बने और मई 2003 में वह लेफ्टिनेंट जनरल की रैंक पर पहुंचे। एक फरवरी 2005 से उन्हें आपूर्ति एवं परिवन का महानिदेशक बनाया गया। उन पर राशन खरीद में अनियमितता बरतने सहित सात आरोप लगे। इसकी कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी हुई। 

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