नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर पिछले करीब 20 दिनों से आंदोलन करने वाले प्रदर्शनकारियों को तुरंत हटाने की एक अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इस अर्जी में प्रदर्शनकारियों को धरना स्थल से हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक कानून के छात्र रिषभ शर्मा की याचिका पर प्रधान न्यायधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना एवं जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ सुनवाई करेगी।
अर्जी में कोरोना फैलने की दलील
शर्मा ने अपनी अर्जी में कहा है कि दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शनों के चलते सड़क मार्ग बाधित हो रहा है जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं आंदोलन के चलते प्रदर्शन स्थलों पर कोविड-19 के संक्रमण फैलने का खतरा भी बना हुआ है। बता दें कि किसान सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के आ जाने से एमएसपी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी और खेती-किसानी पर निजी कंपनियों का नियंत्रण होने लगेगा। हालांकि किसानों की इन आशंकाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय मंत्रियों ने दूर करने की कोशिश की है।
सरकार से किसानों की नहीं बनी बात
सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में है और इन कानूनों को बदले हुए समय के हिसाब से तैयार किया गया है। इनसे किसानों को अपनी फसलें कहीं पर भी और किसी से भी बेचने की आजादी होगी। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी। सरकार के भरोसे के बावजूद किसान अपना प्रदर्शन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। सरकार एमएसपी पर लिखित में भरोसा देने के लिए तैयार है। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक इन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता तब तक वे अपना प्रदर्शन वापस नहीं लेंगे। किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
‘वास्तविक किसान संगठनों’के साथ वार्ता करेगी सरकार
कृषि कानूनों पर किसानों के साथ सरकार की पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि सरकार तीनों कानूनों के प्रत्येक प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। तोमर ने मंगलवार को कहा कि सरकार ‘वास्तविक किसान संगठनों’के साथ वार्ता जारी रखने और खुले दिमाग से मसले का समाधान खोजने को तैयार है। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर सरकार की किसानों से उनकी उपज खरीदने की प्रतिबद्धता होती है, वह एक प्रशासनिक निर्णय होता और यह वर्तमान स्वरूप में ‘इसी तरह जारी रहेगा’।
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