राजद्रोह कानून 100 साल पहले अंग्रेजों ने लाया था, इसका महत्व खत्म हो चुका है: पूर्व अटॉर्नी जनरल

Sedition law : राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। इस पर पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह कानून 100 साल पहले अंग्रेजों ने भारतीयों को दबाने के लिए लाया था। अब इसका महत्व खत्म हो चुका है क्योंकि भारत आजाद देश है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने के लिए इस कानून का लगातार दुरुपयोग किया गया।

Sedition law was brought by British 100 years ago, it has lost all importance: Former Attorney General Mukul Rohatgi
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किया गया।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में राजद्रोह कानून लागू करने पर फिलहाल रोक लगा दी है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार करने को कहा है।
  • पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहना है कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, इस कानून की जरुरत नहीं है, इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।

Sedition law : राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार के सवाल पर पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह 100 साल पहले अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को दबाने के लिए यह कानून लाया गया था। अंग्रेजों का आइडिया यह था कि कोई भी उन्हें उखाड़ फेंकने में सक्षम नहीं होना चाहिए। इसका सभी महत्व खत्म हो चुका है क्योंकि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है। फिर से इस पर विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश साहसिक और ऐतिहासिक है। समीक्षा करने को लेकर सरकार के फैसले का स्वागत है। समीक्षा होने तक यह कानून लागू नहीं किया जाएगा। यह उचित फैसला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने के लिए इस कानून का लगातार दुरुपयोग किया गया। 

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार को आदेश दिया कि जब तक सरकार अंग्रेस जमाने के इस कानून पर फिर से गौर नहीं कर लेती तब तक राजद्रोह के आरोप में कोई नया एफआईआर दर्ज नहीं की जाए। सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हितों और नागरिकों के हितों को संतुलित करने की जरुरत है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (राजद्रोह) वर्तमान सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं है। इस पर पुनर्विचार करने को कहा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा था कि राजद्रोह के संबंध में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून पर किसी उपयुक्त मंच द्वारा पुनर्विचार किए जाने तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर 24 घंटे के भीतर वह अपने विचार स्पष्ट करे। शीर्ष अदालत राजद्रोह संबंधी कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

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