Agnipath Scheme का विरोध करने वालों को आगरा के 'शेर अली' से सीखना चाहिए! बनना चाहता है 'अग्निवीर'-VIDEO

Agra boy Sher Ali: आगरा के एक लड़के शेर अली ने सड़कों पर भीख मांगकर और कूड़े उठाकर पढ़ाई की फीस भरी और इस साल हाई स्कूल फर्स्ट डिवीजन में पास किया है, वो अब 'अग्निवीर' बनना चाहता है।

Sher Ali Wants to be Agniveer
यूपी बोर्ड के नतीजों ने आगरा की एक झुग्गी में रहने वाले एक लड़के शेर अली की उम्मीदों को नई उड़ान दी है 
मुख्य बातें
  • शेर अली ने हाई स्कूल की परीक्षा 63 प्रतिशत अंकों के साथ फर्स्ट डिवीजन में पास की है
  • शेर अली अपने मां-बाप और आठ अन्य भाई-बहनों के साथ 8x8 की झोपड़ी में रहता है
  • तंगहाली से जूझ रहे अली ने सड़कों पर भीख मांगकर और कूड़े उठाकर पढ़ाई की फीस भरी है

Sher Ali Wants to be Agniveer:  यूपी बोर्ड के नतीजों ने आगरा की एक झुग्गी में रहने वाले एक लड़के शेर अली की उम्मीदों को नई उड़ान दी है, शेर अली ने  हाई स्कूल की परीक्षा 63 प्रतिशत अंकों के साथ फर्स्ट डिवीजन (High School First Division) में पास की है, आप कहेंगे कि इसमें क्या खास है, दरअसल जिन विपरीत परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई पूरी कर उसने ये मुकाम हासिल किया है वो तारीफ-ए काबिल है।

आगरा का रहने वाला शेर अली अभी 17 साल का है और वो अपने मां-बाप और आठ अन्य भाई-बहनों के साथ 8x8 की झोपड़ी में रहता है। उसकी झुग्गी में बिजली तक नहीं आती। तंगहाली से जूझ रहे अली ने सड़कों पर भीख मांगकर और कूड़े उठाकर पढ़ाई की फीस भरी है और अब आगे भविष्य की तैयारी कर रहा है।

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बताया जा रहा है कि पढ़ाई के साथ ही खेलकूद में भी मेडल जीतने वाले अली की इच्छा अब 'अग्निवीर' (Agniveer) बनकर देश की सेवा करने की है अपने जज्बे और मेहनत के दम पर वो वहां के बच्चों का रोल मॉडल बन गया है।

'अब मेरा लक्ष्य अग्निपथ योजना के जरिए आर्मी में जाकर देश की सेवा करने का है'

एक मीडिया हाउस के साथ बातचीत में शेर अली ने कहा, 'परीक्षा के नतीजे ने मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास भरा है कि मैं अपने लक्ष्य ऊंचे रख सकूं। अब मेरा लक्ष्य अग्निपथ योजना के जरिए आर्मी में जाकर देश की सेवा करने का है।' अली को सबसे अधिक नंबर अंग्रेजी में मिले, जिसमें उन्होंने 100 में से 80 नंबर हासिल किए।

मां ने कहा कि ''अली ने कई बार तो भूखे पेट रहकर पढ़ाई की है'

माता-पिता भी अपने बेटे की सफलता से काफी खुश हैं, उन्होंने बताया कि कैसे मोमबत्ती की रोशनी में पढ़कर शेरअली ने कठिनाई से यह परीक्षा दी है। उसकी मां ने कहा कि अली ने कई बार तो भूखे पेट रहकर पढ़ाई की है और कितनी ही रातें तो उसने मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ते हुए और जग में भरे पानी से पेट की आग बुझाते ही काटी हैं।

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