मध्य प्रदेश की 'उल्टी बारात', राजस्थान में पायलट और गहलोत के बीच जारी है संघर्ष: सामना

देश
किशोर जोशी
Updated Mar 12, 2020 | 10:15 IST

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है, 'भगवान देता है और कर्म नाश कर देता है।'

Shiv Sena attacks congress in Saamana after jyotiraditya Scindia joins BJP
'MP की 'उल्टी बारात', पायलट और गहलोत के बीच जारी है संघर्ष' 
मुख्य बातें
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा संपादकीय
  • सिंधिया की तारीफ करते हुए सामना ने कमलनाथ को बताया इसका जिम्मेदार
  • सामना के मुताबिक, मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी हो सकते हैं इस तरह के हालात

मुंबई: मध्यप्रदेश के महाराज यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी का दामन चुके हैं और पार्टी में शामिल होते ही उन्हें राज्यसभा का टिकट भी मिल गया। सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा है। सामना में 'मध्य प्रदेश की उल्टी बारात', के शीर्षक से एक संपादकीय लिखा गया है जिसमें कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा गया है, 'भगवान देता है और कर्म नाश कर देता है।'

कमलनाथ के अंहकार की वजह से आई ये नौबत

सामना ने अपने इस संपादकीय में कई बातों का जिक्र किया है। कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा गया है, 'भगवान देता है और कर्म नाश कर देता है, यही हालत कांग्रेस की हो गई है और मध्य प्रदेश में बगावत हो गई है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार अगर गिरती है तो इसका श्रेय भाजपा का चाणक्य मंडल ना ले। कमलनाथ सरकार के गिरने की वजह है उनकी लापरवाही, अहंकार और नई पीढ़ी को कम आंकने की प्रवृत्ति। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पुराने नेता है।'

नहीं आती ये नौबत

ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव का बखान करते हुए इस संपादकीय में कहा गया है, 'सिंधिया को नजरअंदाज कर राजनीति नहीं की जा सकती है। सिंधिया का प्रभाव भले ही पूरे राज्य में ना हो लेकिन ग्वालियर और गुना जैसे बड़े क्षेत्रों में आज भी सिंधियाशाही का प्रभाव है। चुनाव से पहले सिंधिया कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा थे लेकिन बाद में उन्हें वरिष्ठों की तरफ से किनारे कर दिया और आलाकमान देखता रह गया। सिंधिया कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे थे राज्यसभा सीट या प्रदेश अध्यक्ष का पद अगर उन्हें दे देते तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।'

राजस्थान में भी ऐसा संकट आ सकता है

राजस्थान में भी कुछ ऐसे ही हालात बताते हुए सामना में लिखा गया है, 'मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे बुरी तरह विधानसभा चुनाव हार गए। खुद गहलोत जोधपुर में डेरा डाले थे, वहीं मध्य प्रदेश में कमलनाथ के बेटे ने जैसे-तैसे जीत हासिल की। इसलिए राजस्थान में भी युवा और जुझारू सचिन पायलट और सीएम गहलोत में संघर्ष जारी है और वो नहीं मिटा तो राजस्थान भी मध्य प्रदेश का रास्ता चुन लेगा, ऐसा छाती ठोककर कहा जा रहा है। असम के कुछ नेता दिल्ली के चक्कर लगाकर हार गए और फिर भाजपावासी हो गए।'

इस संपादकीय के अंत में भाजपा को भी नसीहत दी गई है कि वो महाराष्ट्र में ऐसा सपना नहीं देखे। कमलनाथ की तारीफ करते हुए कहा गया है कि कमलनाथ भी माहिर राजनीतिज्ञ है जो जुगाड़ू और करामती नेता है।

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