नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है वहां पर सियासी उठापठक का दौर जारी है। राज्य की गठबंधन सरकार में शिवसेना और एनसीपी के अलावा कांग्रेस भी शामिल है हाल ही में कांग्रेस के नए पैंतरे ने महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने एलान किया था कि महाराष्ट्र का अगला विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले ही लड़ेगी वहीं इस घटनाक्रम के बाद अब शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है।
सरनाईक ने अपने पत्र मे लिखा कि एनसीपी और कांग्रेस को अपना मुख्यमंत्री चाहिए। इसलिए अच्छा होगा कि आप (सीएम ठाकरे) पीएम मोदी के करीब आ जाएं।
प्रताप सरनाईक ने अपने पत्र मे लिखा कि एनसीपी और कांग्रेस को अपना मुख्यमंत्री चाहिए उन्होंने कहा कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ना चाहती है और एनसीपी शिवसेना से नेताओं को तोड़ रही है।
प्रताप सरनाइक ने पत्र में कहा- 'हम आप पर और आपके नेतृत्व पर विश्वास करते हैं, लेकिन कांग्रेस और एनसीपी हमारी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। मेरा मानना है कि अगर आप पीएम मोदी के करीब आते हैं तो बेहतर होगा,अगर हम एक बार फिर साथ आ गए तो यह पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए फायदेमंद होगा।'
गौर हो कि कांग्रेस की ओर से राज्य सरकार में अपनी अनदेखी को लेकर कई बार सवाल खड़ा किया जा चुका है वहीं इस बार तो नाना पटोले ने इस एलान के साथ मुख्यमंत्री बनने की इच्छा भी जाहिर कर दी है, उन्होंने यह भी कहा कि अगर आलाकमान फैसला लेता है तो वह मुख्यमंत्री का चेहरा बनने को भी तैयार हैं वहीं ये भी ध्यान रहे कि साल 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा और लोकसभा का चुनाव साथ लड़ने पर अब तक फैसला नहीं हुआ है।
हाल ही में शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने सरकार में शिवसेना को द्वितीयक दर्जा देकर खत्म करने की कोशिश की।संजय राउत ने कहा, 'पिछली सरकार में शिवसेना को द्वितीयक दर्जा दिया गया था और उसके साथ दासों की तरह व्यवहार किया गया था। उसी शक्ति का दुरुपयोग करके हमारी पार्टी को खत्म करने का प्रयास किया गया था, जो हमारे समर्थन के कारण प्राप्त हुई थी।'उन्होंने कहा, 'शिवसैनिकों को कुछ न मिले तो भी हम गर्व से कह सकते हैं कि राज्य का नेतृत्व अब शिवसेना के हाथ में है। पिछले 5 सालों में शिवसेना के सत्ता में रहने के बावजूद हर गांव से शिवसेना की मौजूदगी को मिटाने की कोशिश की गई। हमारे साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया गया।'
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