श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस में कल हाई कोर्ट में सुनवाई, यहां समझें विवाद का पूरा इतिहास

TIME NOW नवभारत संवाददाता गौरव श्रीवास्तव मथुरा श्रीकृष्णजन्मभूमि विवाद के हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह से मिले। उन्होंने जो सरकारी दस्तावेज दिखाए, उसमें कहीं भी मस्जिद का जिक्र तक नहीं है।

Shri Krishna Janmabhoomi
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर कल इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुख्य पक्षकार की याचिका पर सुनवाई होनी है। विवादित स्थल की जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है।

देश के इस बड़े धार्मिक स्थल का विवाद कोर्ट में है। विवाद सिर्फ एक है कि मंदिर की मूल जगह पर अब मस्जिद है। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दी गई। हम आपको श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजी सबूत दिखाएंगे जो यकीनन आपने पहले नहीं देखे होंगे। 625 साल पुराने उन ऐतिहासिक सबूतों से श्रीकृष्ण जन्मभूमि का संपूर्ण सत्य आपके सामने आएगा। मथुरा से TIMES NOW नवभारत संवाददाता गौरव श्रीवास्तव ने ऐतिहासिक दस्तावेज तलाश किए हैं। 

औरंगजेब, मुगल कालीन वो क्रूर शासक जो हिंदू धर्म से नफरत करता था। वर्ष 1669 में औरंगजेब को हिंदुस्तान का शासक बने 12 साल हो चुके थे। 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब एक फरमान जारी किया जिसमें लिखा था कि मूर्ति पूजा करने वालों के सारे मंदिर और स्कूल ध्वस्त कर दिए जाएं और उनके धार्मिक शिक्षाओं और क्रियाकलापों को बंद किया जाए। औरंगजेब ने जिस वक्त ये फरमान जारी किया था, उस वक्त मथुरा में बुंदेल राजा बीर सिंह देव का राज था, जिन्होंने भव्य श्रीकृष्ण मंदिर बनवाया था। पूरे मंदिर परिसर को कटरा केशवदेव मंदिर के नाम से जाना जाता था।  

औरंगजेब के आदेश के बाद जनवरी 1670 में मुगलों की सेना ने मथुरा के भव्य श्रीकृष्ण मंदिर को ध्वस्त दिया। मंदिर को गिराने के बाद मुगल शासक के आदेश पर वहां एक मस्जिद बना दी गई। वर्ष 1789 को दो अंग्रेजों ने एक पेटिंग बनाई थी। इसी पेटिंग में एक टूटी हुई इमारत के हिस्से का चित्र है जो कि श्रीकृष्ण मंदिर का हिस्सा है और उसके ठीक पीछे मस्जिद है, जो मंदिर गिराकर बनाई गई थी। 

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