तो किसान नेताओं में ही पड़ने लगी है फूट! टिकैत और गुरनाम चढूनी में वर्चस्व की जंग?

देश
किशोर जोशी
Updated Jun 03, 2021 | 13:51 IST

नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान नेता पिछले करीब 6 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने अपना अलग संगठन बना लिया है।

So is there a split between the farmers' leaders, Gurnam Chaduni and Rakesh Tikait
तो किसान नेताओं में आपस में ही पड़ने लगी है फूट!  
मुख्य बातें
  • नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर लंब समय से प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
  • गुरनाम सिंह चढूनी ने हाल ही में बनाया था अपना अलग संगंठन
  • चढूनी के नए संगंठन को लेकर किसी भी किसान नेता ने नहीं दी प्रतिक्रिया

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले करीब 6 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि ये कानून वापस लिए जाए। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी हैं लेकिन किसान अपनी मांग से टस से मस नहीं हुए और नतीजा ये हुआ कि बातचीत का कोई हल नहीं निकल पाया। इन सबके बीच लंबे खिंचते किसान आंदोलने में अब किसान संगठनों के बीच मतभेद नजह आ रहे हैं।

चढूनी ने बनाई अलग फेडरेशन
मतभेद की झलक उस समय दिखाई दी जब भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन बनाई। चढूनी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब तमाम संगठन कृषि बिलों के खिलाफ एक हुए हैं। इस संगठन को बनाकर उन्होंने साफ कर दिया कि वह संयुक्त किसान मोर्च के तहत तो रहेंगे लेकिन अपनी राह अलग होगी। चढूनी के इस कदम पर किसी भी बड़े किसान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

 टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी में वर्चस्व की जंग
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और दूसरे बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी में मतभेद की खबरें कई बात आती रही हैं। अब चढूनी द्वारा अपना अलग संगठन बनाए जाने को लेकर इसकी पुष्टि भी होती दिखती है जिससे ऐसा लग रहा है कि यह दो नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई भी है। हाल में ही चढ़ूनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी के कई हिस्सों में किसान आंदोलन नहीं चलने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने नेताओं के साथ साथ संगठन पर भी उंगुली उठाई थी। हालांकि दोनों नेता मंच पर साथ नजर आते हैं।

कुछ समय पहले ही चढूनी ने कहा था कि जिस तरह पंजाब और हरियाणा में नेताओं का विरोध हो रहा है वैसी यूपी में नहीं हो रहा है। उन्होंने साफ कहा था कि आंदोलन को यूपी में भी धार देनी होगी, जिसका साफ इशारा टिकैत बंधुओं की तरफ था जो यूपी से आते हैं।

चढूनी के नए संगठन पर सभी ने साधी चुप्पी
गुरनाम सिंह चढूनी के नए संगठन को लेकर तमाम बड़े किसान नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। संयुक्त किसान मोर्च की कोर कमेटी के सदस्य और मीडिया में अक्सर छाए रहने वाले योगेंद्र यादव ने भी इस पर कोई बयान नहीं दिया है। इसके अलावा अन्य नेताओं ने भी कोई बयान नहीं दिया है। खैर जो भी हो लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि ये दो नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग भी है।

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