फौज के लिए ब्रह्रमोस मिसाइल को अहम हथियार के तौर पर देखा जाता है। पिछले महीने ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद 19 अप्रैल को भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस दिल्ली द्वारा एक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया था। बिना वारहेड वाली मिसाइल ने इस्तेमाल में नहीं लाए जाने वाली जहाज में एक छेद बनाया। मिसाइल लगभग 3000 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रा करती है और वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा इसे रोकना मुश्किल है।
ब्रह्मोस मुख्य हथियार प्रणाली
ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है और इसे इसके लगभग सभी सतह प्लेटफार्मों पर तैनात किया गया है। पानी के नीचे का संस्करण भी विकसित किया जा रहा है जिसका उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों द्वारा किया जाएगा बल्कि मित्र देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगा।
किए गए कई अहम बदलाव
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को पहले ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए इसमें कई बदलाव किए गए हैं और इसके बाद ही इसका परीक्षण किया गया है। सफल परीक्षण बताता है कि जो नई तकनीकें इसमें शामिल की गई हैं, वे सफल हो रही हैं। मिसाइल ने परीक्षण के दौरान पहले से तय सभी लक्ष्यों को पूरा किया और अपनी सबसे तेज गति से अधिकतम दूरी के लक्ष्य को हिट किया। भारत की तरफ से DRDO और रूस की तरफ से NPOM ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया। परीक्षण की निगरानी टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे नए तकनीक उपकरणों के जरिये की गई।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का हुआ था सफल परीक्षण
भारत ने पिछले महीने यानी मार्च में अंडमान और निकोबार में सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। विस्तारित दूरी की मिसाइल ने सटीकता के साथ अपने लक्ष्य को मारा। एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के सफल परीक्षण पर बधाई दी।
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