नई दिल्ली। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने अगले सीजेआई के लिए सबसे सीनियर जस्टिस एन वी रमन्ना के नाम की सिफारिश कानून मंत्रालय से की। परंपरा के हिसाब से सीनियर मोस्ट जज ही देश की सर्वोच्च अदालत का मुखिया बनता है। इस लिहाज से एन वी रमन्ना देश के 48वें चीफ जस्टिस होंगे हालांकि इस पर राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी मिलनी बाकी है। लेकिन एन वी रमन्ना को लेकर आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी को शिकायत रही है। उनका आरोप था कि एन वी रमन्ना और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू राज्य सरकार को गिराने की साजिश रचते रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ए वी रमन्ना पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है।
जगनमोहन रेड्डी के ये थे आरोप
बताया जाता है कि जगनमोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ए एस बोबड़े को लिखी शिकायत में कहा था कि एन वी रमन्ना की बेटियां और चंद्रबाबू नायडू से जुड़े लोग जमीनों के खरीदफरोख्त में शामिल रहे हैं। इस वजह से दोनों लोगों में खास रिश्ता रहा है और उसका असर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसलों में दिखाई भी देता रहा है। सरकार के फैसलों को खारिज कर देना या रोक लगा दिया जाता था। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट की एक आंतरिक कमेटी ने आरोपों की जांच की और जगन मोहन रेड्डी के आरोपों को खारिज कर दिया।
किसान परिवार से एन वी रमन्ना का संबंध
27 अगस्त 1957 को जस्टिस एनवी रमन्ना का जन्म कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1983 में वकील के तौर पर की थी। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। जून 2000 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का स्थाई जज बनाया गया था। 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी मिली और फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने। बता दें कि चीफ जस्टिस एस बोबड़े के बाद वो सबसे वरिष्ठ जज हैं।
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