Maharashtra Political Crisis : शिवसेना के विवाद पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। उद्धव ठाकरे एवं एकनाथ शिंदे गुट के वकीलों की बहस सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर को दस्तावेजों के साथ अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। कोर्ट ने सभी पक्षों को जवाब देने के लिए 5 दिन का वक्त दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। कोर्ट ने अयोग्यता का मामला 11 जुलाई तक लंबित रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर अपने मामले में खुद जज कैसे बन सकते हैं? उद्धव गुट ने डिप्टी स्पीकर को हटाने के लिए 34 विधायकों की ओर से पारित किए गए प्रस्ताव पर ही सवाल खड़े कर दिए। उद्धव गुट के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ दिया गया नोटिस वैधानिक नहीं है और सरकार ने इसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया है। डिप्टी स्पीकर को हटाने के लिए शिंदे गुट के 34 विधायकों ने नोटिस दिया है।
डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर सवाल
शिंदे गुट ने अपनी अर्जी में डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाए। शिंदे गुट और अन्य बागी विधायकों की ओर से पेश नीरज किशन कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर अभी फैसला नहीं हुआ है तो वह खुद बागी विधायकों की अयोग्यता का नोटिस कैसे जारी कर सकते हैं। कौल ने कहा कि बागी विधायकों को नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया जो कि महाराष्ट्र असेंबली के रूल 11 का उल्लंघन है। जबकि उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस केस में नबाम रेबिया केस लागू नहीं होता और शिंदे गुट को पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए थे।
नबाम रेबिया केस का जिक्र
उद्धव गुट की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की। अजय चौधरी और सुनील प्रभु की ओर से पेश वकील सिंघवी ने कहा कि इस मामले में नबाम रेबिया केस लागू नहीं होता। सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट जाए बिना सुप्रीम कोर्ट आना गलत है। सिंधवी ने दलील दी कि डिप्टी स्पीकर का पद संवैधानिक होता है। डिप्टी स्पीकर जब तक कोई फैसला नहीं ले लेते तब तक कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। इस पर जज सूर्यकांत ने कहा कि नबाम रेबिया केस में डिप्टी स्पीकर और स्पीकर के फैसलों को स्पष्ट किया जा चुका है। कोर्ट ने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि नोटिस जो भेजा गया है कि वह संविधान के हिसाब से या नहीं। हम सदन की कार्यवाही के बारे में कोई बात नहीं कर रहे हैं। जज सूर्यकांत ने कहा कि नोटिस भेजने की वैधानिकता के बारे में कोर्ट दखल दे सकता है।
महाराष्ट्र असेंबली के नियम-11 का उल्लेख
सुनवाई के दौरान कोर्ट में महाराष्ट्र असेंबली के नियम-11 का उल्लेख किया गया। कौल ने कहा कि इस असेंबली के रूल 11 का उल्लंघन हुआ है। इस नियम के तहत नोटिस का जवाब देने के लिए 7 से 14 दिनों का समय दिया जाता है। शिंदे कैंप का कहना है कि उन्हें जवाब देने के लिए केवल 48 घंटे का समय दिया गया।
अवकाश पीठ ने की सुनवाई
बता दें कि डिप्टी स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ शिंदे गुट ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने अर्जियों पर सुनवाई की। एक याचिका में 16 विधायकों को किसी तरह से अयोग्य ठहराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है जबकि दूसरी अर्जी में अजय चौधरी को विधायक दल के नेता पद पर नियुक्ति को गलत ठहराया गया है। शिवसेना पर अधिकार को लेकर उद्धव एवं शिंदे गुट आमने-सामने आ गए हैं। राजनीतिक लड़ाई सड़क और कानून के जरिए लड़ी जा रही है।
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