मुफ्त योजनाओं के खिलाफ जारी याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस पर व्यापक सुनवाई की आवश्यकता है, इसलिए इसे आगे की सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ के पास भेजा जा रहा है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट के सामने तर्क रखा गया कि एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए 2013 के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा- "इसमें शामिल मुद्दों की जटिलताओं और सुब्रमण्यम बालाजी मामले में इस अदालत के दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले को रद्द करने के अनुरोध को देखते हुए, हम याचिकाओं के इस समूह को सीजेआई का आदेश मिलने के बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास ट्रांसफर करने का निर्देश देते हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार सप्ताह बाद इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाएगा। आज इस मामले की सुनवाई की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग भी हुई। इस मामले पर खुद सीजेआई एनवी रमना सुनवाई कर रहे थे, जो आज रिटायर हो रहे हैं।
एक याचिका में उन राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई है जो चुनाव के दौरान और बाद में जनता को मुफ्त योजनाओं का उपहार देते हैं। मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा- "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास होती है। मतदाता पार्टियों और उम्मीदवारों का फैसला करते हैं। हम इस मुद्दे को देखने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के विचार में हैं। पिछली सुनवाई में हमने एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए प्रस्ताव रखा था।"
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि तीन-न्यायाधीशों की पीठ इसी तरह के एक मामले में 2013 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका पर फैसला करेगी। वहीं सुनवाई के दौरान कई राजनीतिक दलों ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि ये मुफ्त नहीं बल्कि जनता के लिए कल्याणकारी योजनाए हैं।
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