ज्ञानवापी पर सुप्रीम फैसला, जानें कोर्ट ने हिंदू-मुस्लिम पक्ष पर क्यों कहा 'संतुलन' जरूरी

Gynavapi Masjid Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में अगर शिवलिंग मिला है तो उस जगह को सुरक्षित रखा जाए। साथ ही लोगों को नमाज अदा करने से रोका नहीं जाए। बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों के अधिकारों को संतुलित करने की जरूरत है।

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ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद जारी  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • लोअर कोर्ट की कार्रवाई पर रोक (Stay) नहीं लगेगी ।
  • नमाज पढ़ने के साथ-साथ,शिवलिंग की भी सुरक्षा की जाएगी।
  • ओवैसी ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा ।

Gynavapi Masjid Dispute:बनारस में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने और वहां की मौजूदा स्थित पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 मई) को अहम निर्देश दिए हैं। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में अगर  शिवलिंग मिला है तो उस जगह को सुरक्षित रखा जाए। साथ ही लोगों को नमाज अदा करने से नहीं रोका जाए। जाहिर है कोर्ट ने अपने इस निर्देश में संतुलन बनाने की कोशिश की है। और इस बात को कोर्ट ने अपने निर्देश में स्वीकार भी किया है ।बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों के अधिकारों को संतुलित करने की जरूरत है। सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच में हुई। ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने के लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आज  के निर्देश के 3 अहम संदेश हैं..

1. लोअर कोर्ट की कार्रवाई पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट  ने ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया की उस मांग को खारिज कर दिया है। जिसमें उसने लोअर कोर्ट की कार्रवाई पर रोक (Stay)लगाने की बात कही थी। यानी बनारस के कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर लोअर कोर्ट, पूजा-अर्चना संबंधी आदेश दे सकेगा।  कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मामला मालिकाना  हक का नहीं बल्कि पूजा करने का है। ऐसे में लोअर कोर्ट को जल्द से जल्द मामले का निपटारा करना चाहिए।

2.शिवलिंग अगर है तो भी नमाज पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह आज निर्देश दिया है कि अगर परिसर में शिवलिंग मिला है, तो उसकी सुरक्षा की जानी चाहिए। लेकिन साथ ही वहां पर नमाज पढ़ने और धार्मिक गतिविधि के अधिकार से रोका नहीं जा सकता है। कोर्ट के इस आदेश का सीधा मतलब है कि कोर्ट ने दूसरे पक्ष के उस दलील को दरकिनार कर दिया है कि वजू वाले स्थान पर शिवलिंग मिलने के कारण, परिसर में नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाय। लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह अंतरिम फैसला है और इस समय दोनों पक्षों के लिए संतुलन बनाने की जरूरत है।

3. 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला आदेश अब लागू नहीं !

कोर्ट के आज के आदेश में कहा है कि वहां पर नमाज पढ़ने की अनुमति रहेगी। और उसमें संख्या का कोई जिक्र नहीं किया है। साथ ही उसने लोअर कोर्ट द्वारा परिसर में केवल 20 लोगों के नमाज पढ़ने का आदेश पर कोई अलग से बात नहीं कही है। ऐसे में अब केवल 20 लोगों के नमाज पढ़ने का आदेश रद्द माना जा सकता है।

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ओवैसी बोले सुप्रीम कोर्ट करेगा न्याय

आज के फैसले पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम आशा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट , लोअर कोर्ट के आदेश पर पूरी तरह से रोक लगाएगा और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी को समझेगा। क्योंकि निचली अदालत का आदेश गलत, अनुचित और अवैध था। और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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