SC ने लगाई ममता सरकार को फटकार, कहा- लाइन को मत कीजिए क्रॉस, हम फ्री स्पीच की रक्षा के लिए यहां है

देश
किशोर जोशी
Updated Oct 29, 2020 | 09:43 IST

सुप्रीम कोर्ट ने एक फेसबुक पोस्ट को लेकर ममता सरकार की पुलिस द्वारा लिए गए एक्शन की आलोचना की है। कोर्ट ने कहा है कि यह हम, सर्वोच्च न्यायालय के रूप में, फ्री स्पीच की रक्षा के लिए यहां हैं।

Supreme Court slams West Bengal Police for harassing people over social media posts
SC ने लगाई ममता सरकार को फटकार, कहा- लाइन को मत कीजिए क्रॉस 
मुख्य बातें
  • फेसबुक पोस्ट को लेकर ममता सरकार की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार
  • दिल्ली की महिला ने शेयर की थी एक फेसबुक पोस्ट, लॉकडाउन के नियमों का किया था जिक्र
  • पश्चिम बंगाल पुलिस ने महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पेश होने को कहा था

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को जमकर फटकार लगाई है। दरअसल दिल्ली की एक महिला ने एक आपत्तिनजक फेसबुक पर शेयर की थी जिसे लेकर कोलकाता पुलिस ने उसे समन भेजा था। महिला ने अपनी पोस्ट में कोलकाता के व्यस्ततम बाजारों में शामिल राजा बाजार की तस्वीर शेयर की थी और राज्य सरकार पर लॉकडाउन के नियमों को लेकर सवाल खड़े किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक मैसेज भेजते हुए कहा, 'सरकार की आलोचना करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देश के नागरिकों को एक जगह से दूसरे जगह तक नहीं घुमाया जा सकता। यह एक नागरिक बोलने की आजादी के अधिकार को धमकाने जैसा है।'  

खंडपीठ ने कही ये बात
संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को दी जाने वाली बोलने की आजादी की वकालत को रेखांकित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि अगर राज्यों की पुलिस इस तरह से आम लोगों को समन जारी करने लग जाएगी, तो यह एक खतरनाक ट्रेंड होगा। पीठ ने कहा, 'लाइन को क्रॉस न करें। भारत को एक आजाद देश बना रहने दें। हम, सर्वोच्च न्यायालय के रूप में, फ्री स्पीच की रक्षा के लिए यहां हैं। संविधान द्वारा सुप्रीम कोर्ट निर्माण यह सुनिश्चित करता है कि आम नागरिकों को राज्य सराकरों द्वारा परेशान नहीं किया जाए।'

दिल्ली की महिला की फेसबुक पोस्ट

दिल्ली की रहने वाली 29 वर्षीय रोशनी बिस्वास नाम की महिला ने अपने वकील महेश जेठमलानी के माध्यम से पुलिस द्वारा उन्हें समन जारी करने को चुनौती दी और कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने राजा बाजार क्षेत्र में बड़ी सभाओं की शिकायत वाली महिला की फेसबुक पोस्टको लेकर उसे पूछताछ के लिए पुलिस के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा था। पुलिस ने इस संबंध में विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की थी। पीठ ने सुझाव दिया कि पुलिस ईमेल पर उसके प्रश्न भेज सकती है या वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उससे पूछताछ कर सकती है।

कोर्ट की दो टूक

इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'यह किसी नागरिक के अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को धमकी देने जासा है। किसी के खिलाफ इसलिए केस नहीं चलाया जा सकता कि उसने लॉकडाउन के नियमों के ठीक से संचालित न होने की बात कही।'  जेठमलानी ने कहा कि कोलकाता पुलिस का इरादा महिला को सामने बुलाने और उन्हें डराने-धमकाने का था। वहीं राज्य सरकार के वकील ने कहा कि महिला को पुलिस के समक्ष पेश होना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को लेकर राज्य सरकार के वकील पर तल्ख प्रहार करते हुए खहा कि  'ऐसा लग रहा है जैसे आप उस महिला से कहना चाहते हैं कि सरकार के खिलाफ लिखने की हिम्मत कैसे हुई, हम उसे समन के नाम पर देश के किसी भी कोने से घसीट सकते हैं।'

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