CAA: 2 साल बाद फिर सुर्खियों में आया सीएए का मुद्दा, आज सुप्रीम कोर्ट में 200 से अधिक याचिकाओं पर अहम सुनवाई

देश
किशोर जोशी
Updated Sep 12, 2022 | 11:04 IST

Supreme Court on CAA: सुप्रीम कोर्ट आज विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं समेत 200 से अधिक जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करेगा।

Supreme Court to hear over 200 PILs against CAA today
CAA से जुड़ी 200 से अधिक याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई 
मुख्य बातें
  • CAA से जुड़ी 200 से अधिक याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई
  • प्रधान न्यायाधीश यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी सुनवाई
  • वर्षों से लंबित कई जनहित याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court on CAA: सुप्रीम कोर्ट आज नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ सीएए को चुनौती देने वाली कम से कम 220 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सीएए के खिलाफ याचिकाओं पर सबसे पहले 18 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस पर आखिरी बार 15 जून, 2021 को सुनवाई हुई थी।

इन संगठनों और लोगों ने दायर की है याचिका

सीएए को 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने पारित किया था, जिसके बाद पूरे देश में इसका विरोध हुआ था। सीएए 10 जनवरी, 2020 को लागू हुआ। केरल स्थित एक राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटिजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कानून के छात्र कई अन्य उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी।

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क्या कहता है कानून

2020 में, केरल भी सीएए को चुनौती देने वाला पहला राज्य बना था जिसने शीर्ष अदालत में एक मुकदमा दायर किया। कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से भाग गए और 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में शरण ली। शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र को नोटिस जारी किया था और केंद्र को सुने बिना कानून पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था।

केंद्र की दलील

शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र को नोटिस जारी किया था और केंद्र को सुने बिना कानून पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। मार्च 2020 में, केंद्र ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना हलफनामा दायर करते हुए कहा कि सीएए अधिनियम एक सही कानून है जो किसी भी भारतीय नागरिक के "कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों" को प्रभावित नहीं करता है। सीएए किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है, केंद्र ने कानून को कानूनी बताते हुए कहा था कि संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं था।

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