वीर सावरकर को बदनाम करने के बाद अगला लक्ष्य स्वामी विवेकानंद हो सकते हैं- मोहन भागवत

वीर सावरकर हु कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’’ का विमोचन पर सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि पहले वीर सावरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई और आगे चलकर स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद निशाना हो सकते हैं।

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मोहन भागवत ने वीर सावरकर के मुद्दे पर विपक्ष पर साधा निशाना 
मुख्य बातें
  • वीर सावरकर के बाद स्वामी विवेकानंद को भी बदनाम किया जा सकता है- मोगन भागवत
  • हिंदू और मुसलमानों को अंग्रेजों ने बांटने का काम किया
  • 'जिनकी सोच और समझ छोटी वो सावरकर को बदनाम करने की कोशिश करते हैं'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव होने का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही उन्हें बदनाम करने की मुहिम चली है और अब अगला लक्ष्य स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद हो सकते हैं।मोहन भागवत ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘‘वीर सावरकर हु कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’’ का विमोचन करते हुए यह बात कही । इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए ।

सावरकर के बारे में जानकारी का अभाव
सरसंघचालक भागवत ने कहा कि भारत में आज के समय में सावरकर के बारे में वास्तव में सही जानकारी का अभाव है। यह एक समस्या है। सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई। यह स्वतंत्रता के बाद खूब चली । ’’उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि सावरकर सामने थे । भारत को जोड़ने से जिनकी दुकान बंद हो जायेगी, उन्हें यह अच्छा नहीं लगता था ।उन्होंने कहा कि अब इसके बाद अगला लक्ष्य स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद को बदनाम करने का हो सकता है क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे।

हिंदू और मुसलमानों को अंग्रेजों ने बांटने का काम किया
मोहन भागवत ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हिन्दू और मुसलमान एक साथ थे लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बांटने का काम किया ।
उन्होंने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग- अलग है लेकिन पूर्वज एक हैं । हम अपनी मातृभूमि तो नहीं बदल सकते ।उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वालों को वहां प्रतिष्ठा नहीं मिली।सरसंघचालक ने कहा कि हमारी विरासत एक है जिसके कारण ही हम सभी मिलकर रहते हैं, वहीं हिन्दुत्व है तथा हिंदुत्व एक ही है जो सनातन है।

वैज्ञानिक विचार के वाहक थे वीर सावरकर
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर शुद्ध वैज्ञानिक विचारधारा के थे तथा तर्क एवं प्रत्यक्ष प्रमाण के आधार पर बात करते थे ।भागवत ने कहा, ‘‘प्रजातंत्र में राजनीतिक विचारधारा के अनेक प्रवाह होते हैं, ऐसे में मतभिन्नता भी स्वाभाविक है लेकिन अलग अलग मत होने के बाद भी एकसाथ चलें, यह महत्वपूर्ण है। विविध होना सृष्टि का श्रृंगार है। यह हमारी राष्ट्रीयता का मूल तत्व है।’’सरसंघचालक ने कहा कि जिनको यह पता नहीं है, ऐसे छोटी बुद्धि वाले ही सावरकर को बदनाम करने का प्रयास करते हैं ।उन्होंने कहा कि हमारा विचार सभी के लिये शुभेच्छा और किसी का तुष्टिकारण नहीं है, कोई अल्पसंख्यक नहीं बल्कि सभी के अधिकार एवं कर्तव्य समान हैं ।भागवत ने कहा कि देश में बहुत राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं, जिनके नाम गूंजने चाहिए ।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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