कश्मीर में निशाने पर कश्मीरी पंडित और प्रवासी, माहौल बिगाड़ने के लिए टारगेट किलिंग, ऐसे समझे

देश
अमित कुमार
अमित कुमार | DEPUTY NEWS EDITOR
Updated Jun 03, 2022 | 17:30 IST

Target killing in kashmir: कश्मीर में पिछले कई दिनों से कश्मीरी पंडितों को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है। दरअसल, ये कोशिश घाटी में माहौल खराब करने की है।

kashmir
कश्मीर 

कश्मीर में टारगेट किलिंग माहौल को खराब करने की कोशिश है। जी हां पिछले 27 दिनों 10 अल्पसंख्यकों को आतंकियों ने टारगेट किलिंग का निशाना बनाया। टारगेट किलिंग के चलते जो अल्पसंख्यक सरकारी कर्मचारी जम्मू ट्रांसफर चाह रहे हैं। फिलहाल जम्मू-कश्मीर सरकार उन्हें जम्मू ट्रांसफर करने पर विचार नहीं कर रहा है। इसके बदले उनकी पोस्टिंग ऐसी जगहों पर की जा रही है जो पूरी तरह सुरक्षित हो। करीब 5500 से ज्यादा अल्पसंख्यक कश्मीरियों जिनमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित हैं उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजा जा चुका है। जम्मू कश्मीर सरकार का मानना है कि सुरक्षाबलों के ऑपरेशन ऑल आउट की वजह से आतंकियों की कमर टूट गई है। ऐसे में टारगेट किलिंग की दर का माहौल बनाना चाहते है आतंकी लेकिन वो कामयाब नही होंगे। घाटी में माहौल कितना बदल गया है उसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि 31 मई 2022 तक करीब 10 लाख पर्यटक कश्मीर आ चुके हैं। इससे लोकल कश्मीरियों का रोजगार बढ़ा है और बदले माहौल में कश्मीर के लोग खुश हैं और यही माहौल आतंकियों को चुभ रहा है। 

बदले माहौल का नतीजा है की करीब 8000 कश्मीरी पंडितों ने घाटी में अपनी जमीन वापस पाने के लिए एप्लिकेशन दिया था, जिसमें से करीब 6500 लोगो में एप्लिकेशन की सुनवाई हो भी गई और करीब 2500 लोगों को जमीन वापस भी मिल गई।

अमरनाथ यात्रा के लिए 8 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

यही नहीं कोरोना की वजह से 2020 और 2021 में अमरनाथ यात्रा नहीं हो पाई थी, लेकिन इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए 8 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जो आजतक का सर्वाधिक संख्या हो गई। अब तक 2.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
ओ को निशाना बना सकता है। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह ने अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था का आदेश दिया है। 

Kashmir Target Killing: कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने की खबरों का  श्रीनगर एयरपोर्ट ने किया 'कड़ा खंडन', दिए ये आंकड़े

 2011 और 2012 में 6 लाख श्रद्धालु आए थे जो उस समय सबसे ज्यादा माना गया था। हांलाकि सुरक्षा बलों के पास इस बात की जानकारी मिली है कि लश्कर-ए-तैयबा अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालु

एक मई से अब तक जम्मू कश्मीर में आठ टारगेट किलिंग, एक नजर

कश्मीर में सालों से लटके सड़क और फ्लाईओवर प्रोजेक्ट पूरे हो रहे हैं। जो नौकरी और कॉन्ट्रेक्ट पहले खास लोग और उनके परिवार वालों को पीछे के दरवाजे से पैसे के बल पर मिलता था वहां अब पारदर्शिता आ गई है। नौकरी हो या कांट्रेक्ट सक्षम लोगों को ही इसका फायदा मिल रहा है। और ये भी वजह है कि कश्मीर में बैठे वो लोग जिन्हें लगता था कि हमेशा उनकी चलेगी अब बदले माहौल से नाखुश हैं। 

भारत सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा

जम्मू कश्मीर सरकार का मानना है कि 370 हटने के बाद से कश्मीर में लगातार माहौल बेहतर हो रहे हैं। ब्लॉक लेवल तक विकास कार्य पहुंच रहे हैं और कश्मीर के निवासियों में भारत सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा सबूत है 2021 में एक दिन भी घाटी में बंद का ऐलान नही हुआ। आम तौर पर घाटी में हर हफ्ते अलगाववादियों की तरफ से केंद्र सरकार के खिलाफ बंद बुलाया जाता था, लेकिन ये सरकार और कश्मीर के आवाम के बीच विश्वास का और आतंकवाद के खिलाफ अविश्वास का नतीजा है कि घाटी में बंद का माहौल खत्म हुआ।  

अलगाववादियों और आतंकियों पर से विश्वास खत्म

अलगाववादियों के खिलाफ लोगों के मन मे अब पहले वाली सहानुभूति नहीं रही। इसका सबूत ये है कि यासीन मलिक को जब उम्र कैद की सजा सुनाई गई तो ना ही घाटी में पत्थरबाजी हुई और ना ही आंदोलन हुए। इसकी वजह ये भी है कि कश्मीरियों को ये समझ आ गया है कि जिहाद और अलगाववाद के नाम पर नेतागिरी करने वाले नेताओं ने कश्मीर के बच्चों के हाथ में हथियार या पत्थर पकड़ा दिए लेकिन अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए विदेश भेजते हैं। अलगाववादियों ने जमीन और संपत्ति बनाई। सरकार का मानना है कि कश्मीर की आवाम का अलगाववादियों और आतंकियों पर से विश्वास खत्म हो गया है और लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। ऐसे में आतंकी कभी कामयाब नही होंगे क्योंकि ये नए भारत का नया कश्मीर है जहां लोग अमन चैन और विकास चाहते हैं।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर