Narendra Modi को 2002 दंगों के मामले में फंसाने की सजिश में शामिल थीं तीस्ता सीतलवाड़, SIT जांच में कई अहम खुलासे

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Updated Jul 21, 2022 | 10:02 IST

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर गुजरात पुलिस की विशेष जांच टीम ने कई खुलासे किए हैं। सीतलवाड़ पर आरोप है कि वह तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को फंसाने की साजिश में शामिल रहीं।

Teesta Setalvad Part Of Conspiracy To Frame PM In Riots Cases SIT told a court
फिलहाल जेल में बंद है तीस्ता सीतलवाड़  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • तीस्ता सीतलवाड ने दंगों के नाम पर एकत्र किए पैसों का किया दुरुपयोग
  • तीस्ता के साथ कांग्रेस नेताओं ने रची थी मोदी के खिलाफ साजिश
  • फिलहाल जेल में बंद है तीस्ता सीतलवाड़

अहमदाबाद:  गुजरात पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने बुधवार को अदालत में कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ 2002 में राज्य में हुए दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को फंसाने की साजिश में शामिल थीं। एसआईटी ने यह भी आरोप लगाया कि सीतलवाड़ ने पीड़ितों के नाम पर धन एकत्रित कर, उक्त राशि का इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों में किया।

दो पूर्व पुलिस अफसर भी जांच के दायरे में

सीतलवाड़ को अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने पिछले महीने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. बी. श्रीकुमार और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया था। इन पर 2002 के दंगों के आरोप में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए झूठे सबूत गढ़ने का आरोप है। सीतलवाड़ इस समय जेल में हैं और उन्होंने जमानत के लिए अर्जी दी है। गुजरात पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) सीतलवाड़ और दो पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है और उसने तीनों आरोपियों की जमानत अर्जी का विरोध किया है।

भाजपा सरकार को अस्थिर करने का प्रयास

सीतलवाड़ की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) मितेश अमीन ने अहमदाबाद में सत्र न्यायाधीश डी. डी. ठक्कर की अदालत में कहा कि वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को दंगों के मामलों में आरोपियों के तौर पर फंसाने की वृहद षड्यंत्र का हिस्सा थीं। अमीन ने कहा कि सीतलवाड़ को वर्ष 2002 दंगे के पीड़ितों में बांटने के लिए कोष मिला, लेकिन पीड़ितों तक यह राशि कभी नहीं पहुंची और इस राशि का इस्तेमाल तत्कालीन भाजपा सरकार को अस्थिर करने के लिए किया गया। एसपीपी ने दावा किया कि यह दिखाने की कोशिश की गई कि दंगे सुनियोजित और प्रायोजित थे, जो गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे को भीड़ द्वारा जलाए जाने और उनमें 59 यात्रियों के जलकर मरने के बाद भड़के।

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विपक्ष के इशारे पर

उन्होंने कहा कि इस साजिश में अहमद पटेल जैसे कांग्रेस के नेता और अन्य शामिल थे और यह विपक्षी पार्टी की ओर से किया गया। इस मामले पर बृहस्पतिवार को भी बहस जारी रहेगी। अदालत सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत अर्जियों पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने पहले ही उनपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है और दावा किया है कि इनमें कोई तथ्य नहीं है। सीलतवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ धारा-468 (फर्जीवाड़ा), 194 (किसी को मौत की सजा दिलाने के उद्देश्य से झूठे सबूत देना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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