अयोध्या/नई दिल्ली : अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है, जिसके बाद अब सभी को फैसले का इंतजार है। इस मसले पर देश की शीर्ष अदालत का फैसला किसी भी दिन आ सकता है, जिसके मद्देनजर यहां की फिजा में तनाव व आशंकाओं को साफ महसूस किया जा रहा है। अयोध्या में लोगों ने जहां खाने-पीने और अन्य जरूरी समानों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया है, वहीं कुछ लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को किन्हीं सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है।
अयोध्या में तनाव व आशंकाओं के बीच प्रशासन भी पूरी तरह अलर्ट है और यहां शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने की हरसंभव कोशिश में जुटा है। अयोध्या पर फैसला आने से पहले किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए अंबेडकर नगर जिले के कॉलेजों में आठ अस्थाई जेल भी बनाई गई है। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने विभिन्न समुदाय के नेताओं के साथ बैठकें भी की हैं और लोगों से शांति व संयम बनाए रखने की अपील की है। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का आश्वासन देते हुए प्रशासन ने लोगों से यह भी कहा है कि उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि लोगों में चिंता का माहौल कायम है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद यहां जो कुछ भी हुआ है, वे उसे भूले नहीं हैं। उनका यह भी कहना है कि यहां लोगों को एक-दूसरे से कभी कोई समस्या नहीं हुई, पर जब भीड़ बाहर से आती है तो यह चिंता का कारण बनती है, क्योंकि यह सौहार्द बिगाड़ने का काम करती है।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर किसी से देश में सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने मंत्रियों से साफ कहा कि वे इस मुद्दे पर कोई भी अनावश्यक बयानबाजी न करें। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का चाहे जो भी फैसला आए, इसे हार या जीत के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने सांसदों से भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जाने को कहा है, ताकि वे लोगों को शांति व सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रेरित कर सकें।
देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी आएगा, उसे माना जाएगा। उन्होंने सभी से शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करने की अपील की। अयोध्या पर आने वाले फैसले को लेकर जारी गहमागहमी के बीच आरएसएस के स्वयंसेवकों ने भी मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की है, जिस दौरान उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला चाहे जो भी हो, उस पर कोई 'जूनूनी जश्न' या 'हार का हंगामा' नहीं आना चाहिए।
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